जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर लोगों के ‘मूलभूत अधिकार’ छीनने को लेकर IAS कन्नन गोपीनाथन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से त्यागपत्र दे दिया है। 33 वर्षीय गोपीनाथन AGMUT कैडर के आईएएस अफसर रहे और दादर नगर हवेली में कई अहम विभागों में सचिव रह चुके हैं। वह 2012 बैच के आईएएस अधिकारी थे। कन्नन गोपीनाथन अगस्त 2018 में उस समय चर्चा में आए थे जब उन्होंने पहचान छुपाकर केरल में आई भीषण बाढ़ के दौरान राहत कार्यों में हिस्सा लिया था और बाद में सुर्खियों में आए थे।
उन्होंने कहा, ‘देश के एक हिस्से में इतने लंबे समय से मूलभूत अधिकारों का निलंबन और अन्य राज्यों से कोई प्रतिक्रिया नहीं होना मुझे काफी पीड़ा दे रहा है। यह निचले स्तर तक हर जगह हो रहा है। मैं अपने विचार देना चाहूंगा कि यह स्वीकार नहीं है।’ इसके अलावा दिल्ली एयर पोर्ट पर पूर्व आईएएस शाह फैसल को हिरासत के लेने के मामले में भी कन्नन गोपीनाथन ने प्रतिक्रिया दी है। द हिंदू की एक खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि इस मामले में भी सिविल सोसाइटी ने कुछ नहीं बोला। ऐसा लगता है कि देश के ज्यादातर लोग इन बातों से सहमत हैं।
चुनाव आयोग से की वरिष्ठ अधिकारियों की शिकायत
गौरतलब है कि मौजूदा सरकार और दादरा नगर हवेली के प्रशासक प्रफुल्ल खोदा पटेल और गोपीनाथन कन्नन के बीच में बार-बार मतभेद की खबरें आती रही हैं। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव के दौरान गोपीनाथ कन्नन ने चुनाव आयोग से मौजूदा दादरा नगर हवेली के बड़े अधिकारियों की शिकायत की थी। तब वह सिलवासा के जिलाधिकारी पद पर तैनात थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद उन्हें हटाकर कमतर विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी।
आपको बता दें कि साल 2018 में केरल में आई बाढ़ के दौरान गोपीनाथन ने अपनी पहचान छिपाकर वहां पर लोगों को मदद की थी। इस पर उन्हें सरकार को जवाब भी देना पड़ा था। इसके अलावा मिजोरम में जब वह कलेक्टर के पद पर तैनात थे तो उन्होंने पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद को 30 ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिए काफी प्रोत्साहित किया था ताकि वहां के बच्चों को बैडमिंटन की ट्रेनिंग दी जा सके। आईएएस बनने से पहले गोपीनाथ इंजीनियर थे और वह इस दौरान झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाते भी थे।