सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जिसका धर्म में भी काफी महत्व है। आज इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण है यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा।
कैसे लगता है सूर्य ग्रहण?
विज्ञान और धर्म, दोनों में सूर्य ग्रहण को काफी अहम माना जाता है। विज्ञान में जहां यह एक सच्ची खगोलीय घटना है। वहीं, इसका वर्णन शास्त्रों में भी किया गया है। विज्ञान के अनुसार ब्रह्मांड में सभी ग्रह और उपग्रह गति करते हैं। उपग्रह ग्रह की प्रक्रिमा करते हैं और ग्रह सूर्य की। इसी चक्र के फलस्वरूप ग्रहण लगता है। सूर्य ग्रहण तब होता है, जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है। इसे पृथ्वी पर सूर्य की रौशनी पूरी तरह नहीं पहुंच पाती और एक छाया सी पड़ जाती है। धर्म में भी इसके बारे में कई रोचक गाथाएं बताई गई हैं।
आंशिक और पूर्ण सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण आंशिक या पूर्ण हो सकता है। आंशिक सूर्य ग्रहण में, पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा के आने से जब सूर्य का थोड़ा सा हिस्सा ढक जाता है, तो इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं। जबकि पूर्ण सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक देता है और उसकी रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती है। पूर्ण सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या को ही होता है। जैसा कि पहले बताया कल पूर्ण सूर्य ग्रहण है।