ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा मस्जिद के लिए वैकल्पिक जगह पर पांच एकड़ की जमीन भी स्वीकार नहीं करेगा। लखनऊ के मुमताज पीजी कॉलेज में रविवार को बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्यों की बैठक में ये फैसला लिया गया। बैठक के बाद बोर्ड के सदस्यों ने प्रेस कांफ्रेस कर मामले की जानकारी दी।
बैठक के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Arshad Madani) ने कहा कि हम फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन (पुनर्विचार या समीक्षा याचिका) दायर करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें मालूम है रिव्यू पिटीशन का हाल क्या होना है, लेकिन फिर भी हमारा यह हक है। बता दें, इससे पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक का स्थान बदला गया। यह बैठक पहले नदवा कॉलेज में होनी थी, लेकिन सभी सदस्य को जमा होने के बाद अचानक आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने मीटिंग की जगह बदल दी। जिसके बाद नदवा में नहीं बल्कि मुमताज पीजी कॉलेज में तीन घंटे तक ये बैठक हुई।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर AIMPLB में दो राय
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर AIMPLB में दो राय थीं। कुछ सदस्य चाहते हैं कि अब मामले में कोई याचिका न दायर की जाए, जबकि कुछ चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की बैठक पर बाबरी मस्जिद मामले में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari) ने कहा कि इस मसले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि फैसला आ गया, फैसले को हमने मान भी लिया और अब हम आगे अब नहीं जाना चाहते। हम हिंदुस्तान के मुसलमान हैं और हिंदुस्तान का संविधान भी मानते हैं।
यूपी: बीजेपी विधायक की मांग- अयोध्या मामले में फैसला सुनाने वाले जजों को मिले भारत रत्न
वहीं, एक दिन पहले ही मामले से जुड़े मुस्लिम पक्षकारों ने बोर्ड को अपनी राय दी कि वह फैसले के खिलाफ अपील की मंशा रखते हैं। उन्होंने यह भी राय दी है कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद (Babari Masjid) के बदले कोई जमीन भी नहीं लेनी चाहिए। इन पक्षकारों ने पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी से नदवा में मुलाकात के दौरान यह ख्वाहिश जाहिर की थी।