गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए हैं। शहीद होने वाले जवानों में बिहार के भोजपुर के वीर सपूत कुंदन ओझा (Kundan ojha) ने देश के लिए शहादत दी।
शहीद जवान मूल रूप से जिले के बिहिया थाना क्षेत्र के पहरपुर गांव के रहने वाले थे। हालांकि पिछले काफी वक़्त से उनका परिवार झारखंड (Jharkhand) राज्य के साहेबगज में रह रहा है।
मंगलवार की शाम बेटे की शहादत की खबर मिलते ही पूरे गांव में मातम पसर गया। गांव में मौजूद उनके बुजुर्ग पिता की तबीयत बिगड़ गई, वहीं शहीद की पत्नी के रुदन से घर और गांव का पूरा माहौल गमगीन हो गया है।
शहीद कुंदन ओझा के पिता रविशंकर ओझा के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे है, वहीं शहादत की सूचना मिलते ही गांव भर के लोगों का शहीद के घर जुटना शुरू हो गए। कई वरीय पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी भी शहीद के घर पर पहुंचे।
कुंदन ओझा की करीब दस साल पहले नौकरी लगी थी। 2017 में ही कुंदन की शादी बिहार के सुल्तानगंज के नीरहटी गांव की नेहा के साथ हुई थी। घर में शहीद की मां भवानी देवी भी अपने लाल को खो देने से सदमे में है और कुछ बोल नहीं रही हैं।
बीस दिन पहले उनके घर एक बच्ची ने जन्म लिया, लेकिन वो अपनी बच्ची की शक्ल भी न देख सकें। घर में पहली बेटी होने को लेकर काफी खुशी थी।
कुछ दिन पहले ही कुंदन ने अपनी पत्नी से वादा करते हुए कहा था कि बेटी को देखने जल्द घर आऊंगा, लेकिन न तो बच्ची को अपने पिता की गोद नसीब हो पाई।
15 दिन पहले ही उसने सीमा पर से मोबाइल के माध्यम से किसी तरह घर पर बात की थी। कुंदन पांच महीने पहले ही घर आया था और छुट्टी मिलने पर जल्द ही फिर घर आने का भरोसा देकर वापस ड्यूटी पर गया था।
सीमा पर तनाव के बीच हुई गोलीबारी में वह शहीद हो गया। जानकारी के अनुसार कुंदन ओझा तीन भाइयों में मांझिल थे। इनमें कमाने वाले सिर्फ कुंदन ही थे।
कुंदन ने 2010-11 में बिहार रेजिमेंट ज्वाइन की थी। और इस वक्त कुंदन को देश की सीमा पर ड्यूटी में तैनात किया गया था। कुंदन के पिता रविशंकर ओझा किसान हैं।
कुंदन के बड़े भाई मुकेश ओझा धनबाद और कन्हैया ओझा गोड्डा में एक निजी कंपनी में कार्यरत है। अब परिजनों को कुंदन के पार्थिव शरीर के आने का इंतजार है।