निर्यात अवसरों को भुनाने, अधिक एफडीआई लाने की तैयारी में : हरसिमरत (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

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नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल चाहती हैं कि भारत का खाद्य प्रसंस्करण उद्योग निर्यात के उन अपार अवसरों का लाभ उठाए, जो कोविड-19 के कारण वैश्विक व्यापार में बदलाव के कारण पैदा होने वाला है।

यही वजह है कि फिलहाल खाद्य प्रसंस्करण मंत्री राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान बंपर फसल पैदावार से निपटने के लिए उद्योगों को तैयार करने और विदेशी पूंजी बढ़ाने के रास्तों को आसान बनाने के साथ ही निर्यात बढ़ाने की भारत की योजना को आकार देने में व्यस्त हैं।


मंत्री ने आईएएनएस को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, कोविड-19 संकट ने भारतीय उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के लिए बड़े अवसरों को खोल दिया है। मंत्री ने साथ ही कहा कि इस समय में चीन विरोधी भावनाओं का भी फायदा उठाते हुए अधिक निर्यात किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, मध्यम अवधि में सेक्टर में बड़े निवेशों की संभावना है और मेरा मंत्रालय अपने ‘निवेश सुविधा सेल’ के माध्यम से किसी भी तरह के निवेश हितों के लिए आवश्यक सहायता सुनिश्चित करेगा।

वर्तमान में भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है।


इसी प्रकार, सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत भारत में निर्मित और उत्पादित खाद्य उत्पादों के संबंध में ई-कॉमर्स के माध्यम से व्यापार के लिए भी 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है।

मंत्री के अनुसार, निर्यात बढ़ाने के तरीकों और साधनों पर उद्योग के साथ नियमित चर्चा की जा रही है।

मंत्री ने कहा, आयात-निर्यात की मौजूदा प्रणाली में एक वैश्विक बदलाव होगा, क्योंकि कई देश अपनी खाद्य आपूर्ति श्रंखलाओं को रीसेट (फिर से निर्धारित) करने और पुन: पेश करने के लिए तत्पर हैं।

उन्होंने कहा, इससे भारतीय निर्यातकों के लिए नए मार्ग खुलेंगे। इस बात को महसूस करते हुए हमने एपीईडीए, एमपीईडीए और एमओएफपीआई समर्थित परियोजनाओं के प्रमोटरों के साथ विचार-विमर्श किया है। यह विमर्श नए अवसरों का पता लगाने और कोरोना की स्थिति के बाद अवसरों को भुनाने के लिए किया गया है।

कोविड-19 प्रकोप की प्रतिक्रिया के संदर्भ में बादल ने कहा कि मंत्रालय के सक्रिय ²ष्टिकोण ने उद्योग के सामने खड़े मुद्दों का समय पर निवारण करने की सुविधा प्रदान की है।

मंत्री ने कहा, राज्य सरकारों, खाद्य प्रोसेसर, खुदरा विक्रेताओं, मंडियों, आदि को एक साथ एक मंच पर लाने के लिए निरंतर प्रयास किए गए, ताकि कृषि उपज का अपव्यय कम किया जा सके, किसानों को बेहतर कीमत प्रदान की जा सके और आपूर्ति श्रंखला बुनियादी ढांचे को बनाए रखा जा सके।

मंत्रालय ने खाद्य और संबंधित उद्योगों के मुद्दों का समाधान करने के लिए एक समर्पित कार्यबल का गठन किया है, ताकि अधिकतम क्षमता के साथ कार्य किया जा सके।

इस दौरान मंत्री ने सरकार द्वारा समर्थित कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्च र यानी खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने वाले गोदामों की भूमिका की भी सराहना की। क्योंकि इनके जरिए संकट की इस घड़ी में खाद्य पदार्थ सुरक्षित रखने में सहायता मिली।

उन्होंने कहा, डेयरी और पोल्ट्री उद्योग, विशेष रूप से रेस्तरां और होटल उद्योग के अचानक बंद होने के कारण मांग में भारी गिरावट देखने को मिली है।

कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए सामाजिक दूरी के नियम निर्धारित किए गए, जिसके बाद खाद्य उद्योग को शुरुआती लॉकडाउन अवधि के दौरान 25 से 30 प्रतिशत की क्षमता पर काम करना पड़ा।

मंत्री ने कहा, इससे आपूर्ति श्रंखला में गंभीर व्यवधान पैदा हो सकता है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए मैंने राज्यों में खाद्य प्रोसेसर के साथ कई वीडियो कांफ्रेंस की, जिसमें प्रमुख उद्योग संघों के साथ निर्यातक और अन्य हितधारकों ने भाग लिया।

मंत्रालय ने 26 मार्च को राष्ट्रव्यापी बंद के कारण देश में खाद्य प्रसंस्करण और इससे जुड़े उद्योगों के सामने मौजूदा मुद्दों को हल करने के लिए इन्वेस्ट इंडिया के साथ एक टास्क फोर्स का गठन किया है।

टीम को तीन मई तक कुल 564 मुद्दे प्राप्त हुए, जिनमें से 533 को हल किया गया है।

मंत्री ने कहा, टास्क फोर्स ने अपने संचालन को फिर से शुरू करने में सैकड़ों इकाइयों को सुविधा प्रदान करके व्यापार निरंतरता सुनिश्चित की है। टीम द्वारा चौबीसों घंटे काम करते हुए चुनौतियों का पता लगाने और उन पर नजर रखना जारी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उद्योग परेशानी रहित तरीके से काम कर रहे हैं।

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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