देश का सेंट्रल बैंक यानि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आज आम लोगों के लिए बड़ी घोषणा कर सकता है। तीन जून 2019 को शुरू हुई आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक का आज आखिरी दिन है। लगातार तीसरी बार आरबीआई रेपो रेट में कटौती कर सकता है। इस कटौती से आपको काफी फायदा होगा क्योंकि इससे ब्याज दरों में कमी आएगी। माना जा रहा है कि बैठक में ब्याज दरें 0.35 फीसदी तक कम हो सकती हैं।
ब्याज दरें घटना लगभग तय!
अमेरिका की रिसर्च फर्म बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि गुरुवार को RBI ब्याड दरों में 0.35 प्रतिशत की गैर-परंपरागत स्तर की कटौती कर सकता है। केंद्रीय बैंक प्राय: 0.25 या 0.50 प्रतिशत की कटौती या वृद्धि करते हैं।
फिलहाल यह है रेपो रेट
क्या होगा ग्राहकों पर असर
मौजूदा ग्राहक अगर लोन MCLR से जुड़ा है जिन ग्राहकों के लोन एमसीएलआर से जुड़े हैं, उनके ईएमआई का बोझ कम होगा। इसके लिए जरूरी है कि बैंक एसीएलआर में कटौती करे। हालांकि, फायदा तभी से शुरू होगा जब लोन की रीसेट डेट आएगी। अमूमन बैंक छह महीने या सालभर के रीसेट पीरियड के साथ होम लोन की पेशकश करते हैं। रीसेट डेट आने पर भविष्य की ईएमआई उस समय की ब्याज दरों पर निर्भर करेंगी।
अगर लोन बेस रेट से जुड़ा है जिन ग्राहकों के लोन अब भी बेस रेट या बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (बीपीएलआर) से जुड़े हैं, उन्हें अपने होम लोन को एमसीएलआर आधारित व्यवस्था में स्विच कराने पर विचार करना चाहिए। कारण है कि नई व्यवस्था में पारदर्शिता अधिक है। इनमें पॉलिसी रेट में कटौती का असर तुरंत दिखता है।
नए ग्राहक नए होम लोन ग्राहक एमसीएलआर व्यवस्था में लोन ले सकते हैं। उनके पास एक्सटर्नल बेंचमार्क व्यवस्था का मूल्यांकन करने का भी विकल्प है। इसके लिए उन्हें थोड़ा इंतजार करना होगा। इस तरह की व्यवस्था पर दिशानिर्देश आने बाकी हैं।
जो लोग प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए पात्र हैं, वे भी लोन लेने के बारे में विचार कर सकते हैं। स्कीम में लोन पर ब्याज सब्सिडी मिलती है। सरकार ने स्कीम की मियाद 31 मार्च, 2020 तक बढ़ा दी है।
क्यों कम होंगी ब्याज दरें
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा। देश की आर्थिक ग्रोथ की चिंता में RBI यह फैसला ले सकता है। मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 5.8 फीसदी पर आ गई है जो इसका पांच साल का निचला स्तर है। हालांकि, मुख्य मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 2.92 प्रतिशत हो गई।
चौथाई फीसदी से ज्यादा कटौती की जरूरत
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी हालिया शोध रिपोर्ट में कहा था कि रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में अधिक बड़ी कटौती करनी होगी, 0.25 फीसदी से अधिक, जिससे अर्थव्यवस्था में सुस्ती को रोका जा सके।