Sanjeev Kumar Death Anniversary: बॉलीवुड (Bollywood) के दिग्गज अभिनेता संजीव कुमार की आज पुण्यतिथि है। संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) ने बॉलीवुड के तमाम रोमांटिक, ड्रामा और थ्रिलर फिल्मों में काम किया। बॉलीवुड को शानदार फिल्में देने वाले संजीव कुमार काफी कम उम्र में ही इस नश्वर संसार को अलविदा कह गए। वह आज हमारे बीच होते तो उनकी उम्र 80 साल से ज्यादा होती। ‘शोले’ फिल्म में ठाकुर का किरदार निभाकर संजीव कुमार एक्टिंग की दुनिया में अमर हो गए। उनकी पुण्यतिथि पर आइये जानते हैं उनके बारे में कुछ रोचक बातें:
क्या था संजीव कुमार का वास्तविक नाम
संजीव कुमार का वास्तविक नाम हरिहर जेठालाल जरीवाला था और उनका जन्म 9 जुलाई 1938 को सूरत में हुआ था। अपनी जिंदगी के शुरूआती सात साल सूरत में गुजारने के बाद संजीव कुमार का परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया। अभिनय का शौक जागने पर संजीव कुमार ने इप्टा के लिए स्टेज पर अभिनय करना शुरू किया इसके बाद वे इंडियन नेशनल थिएटर से जुड़ गए।
हम हिंदुस्तानी (1960) संजीव कुमार की पहली फिल्म थी। उन्होंने कई फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किए और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाई। 1968 में रिलीज हुई ‘राजा और रंक’ की सफलता ने संजीव कुमार को हिंदी फिल्मों में अभिनेता के तौर पर स्थापित कर दिया। संजीव कुमार को दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
गुलजार के साथ बनाई कई बेहतरीन फिल्में
1972 में गीतकार और फिल्मकार गुलजार ने संजीव कुमार की फिल्म ‘सुबह-ओ-शाम’ देखी। वह संजीव कुमार की अभिनय प्रतिभा से बेहद प्रभावित हुए। इसके बाद गुलजार और संजीव कुमार ने साथ में काफी काम किया। इन दोनों की जोड़ी ने मिलकर कोशिश (1973), आंधी (1975), मौसम (1975), अंगूर (1980), नमकीन (1982) जैसी कुछ बेहतरीन फिल्में दीं। संजीव कुमार के अभिनय कौशल पर फिदा गुलजार ने इन्हें ‘संपूर्ण कलाकार’ बताया था।
निभाया जया बच्चन के पति और ससुर का रोल
संजीव कुमार की ऐसी ही एक जोड़ी अभिनेत्री जया भादुड़ी (बच्चन) के साथ बनी जो काफी समय तक बहुत हिट रही। संजीव कुमार ने जया बच्चन के पति और भाई से लेकर ससुर तक के रोल किए। उन्होंने फिल्म कोशिश में जया भादुड़ी के पति का रोल, अनामिका में उनके प्रेमी का किरदार, शोले में ससुर का रोल और सिलसिला में भाई का रोल निभाया।
4 साल छोटे अमिताभ और शशि कपूर के पिता का रोल
संजीव कुमार उम्रदराज व्यक्ति की भूमिका निभाने में माहिर समझे जाते थे। 22 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने एक नाटक में बूढ़े का रोल अदा किया था। कई फिल्मों में उन्होंने अपनी उम्र से अधिक उम्र वाले व्यक्ति के किरदार निभाए और काफी पसंद किए गए। 1978 में रिलीज हुई फिल्म त्रिशूल में संजीव कुमार ने खुद से सिर्फ चार साल छोटे अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के पिता का किरदार निभाया। साल 1974 में आई फिल्म ‘नया दिन नई रात’ में संजीव कुमार ने नौ भूमिकाएँ अदा की और अपने अभिनय का लोहा मनवाया।
शोले में ऐसे मिला था ठाकुर का रोल
फिल्म शोले में ठाकुर के रोल के कारण संजीव कुमार को आज तक याद किया जाता है। लेकिन शायद आप नहीं जानते होंगे कि ठाकुर के रोल को धर्मेन्द्र करना चाहते थे। निर्देशक रमेश सिप्पी द्वंद्व में पड़ गए। उस समय धर्मेंद्र और संजीव कुमार दोनों ही हेमा मालिनी के दीवाने हुआ करते थे। रमेश सिप्पी ने धर्मेन्द्र से कहा कि तुमको वीरू का रोल निभाते हुए ज्यादा से ज्यादा हेमा के साथ रोमांस करने का मौका मिलेगा। यदि तुम ठाकुर बनोगे तो मैं संजीव कुमार को वीरू का रोल दे दूंगा। सिप्पी का ये तुक्का काम कर गया और धर्मेंद्र ने ठाकुर का रोल संजीव कुमार के लिए छोड़ दिया। कालांतर में हेमा मालिनी ने धमेंद्र से शादी कर ली और एकतरफा प्यार में संजीव ने सारी जिंदगी अकेले ही गुजार दी।
मौत का डर
संजीव कुमार को हमेशा इस बात का डर रहता था कि वो जल्दी ही दुनिया को छोड़ जाएंगे। इसके पीछे उनका एक डर था जो उनके मन में बैठ गया था। दरअसल संजीव कुमार के घर के सभी मर्दों की मृत्यु 50 से कम उम्र में ही हो गई थी। ऐसे में संजीव कुमार को भी यही लगता था कि वो भी 50 की उम्र से पहले ही संसार को अलविदा कह देंगे। हुआ भी ऐसा ही। 6 नवंबर, 1984 को हिंदी फिल्म जगत का एक चमकता हुआ सितारा सदा के लिए बुझ गया। महज 47 की उम्र में संजीव कुमार का हार्ट अटैक से निधन हो गया।
निधन के बाद रिलीज हुई कई फिल्में
आपको ये जानकर हैरत होगी कि संजीव कुमार की दस से ज्यादा फिल्में उनके निधन के बाद रिलीज़ हुईं। इनमें से एक ‘प्रोफ़ेसर की पड़ोसन’ साल 1993 में रिलीज़ हुई थी। उनकी मृत्यु के समय इस फ़िल्म का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा ही शूट हो पाया था। इसके बाद कुमार के चरित्र को गायब करने के लिए फिल्म की कहानी को बदला गया करीब छह महीने का समय लग गया।
संजीव कुमार के निधन के बाद ये फिल्में हुई थीं रिलीज
1993: प्रोफेसर की पड़ोसन
1989: ऊंच नीच बीच
1988: दो वक़्त की रोटी
1988: नामुमकिन
1987: हिरासत
1987: राही
1986: बात बन जाए
1986: बिजली
1986: छोटा आदमी
1986: हाथों की लकीरें
1986: लव एंड गॉड
1986: कांच की देवर
1986: क़त्ल