पूर्व (बीजेपी) BJP सांसद स्वामी चिन्मयानंद (Chinmayananda) पर एक छात्रा द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के आलोक में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को स्पेशल टास्क फोर्स (SIT) गठित करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि यह जांच आईजी रैंक के अधिकारी करेंगे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने लड़की और उसके घरवालों को उचित सुरक्षा मुहैया कराने का भी निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि चिन्मयानंद (Chinmayananda) पर उनके ही कॉलेज में पढ़ने वाली एक लॉ स्टूडेंट ने वीडियो जारी कर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। वीडियो में छात्रा ने आरोप लगाया गया था कि चिन्मयानंद ने “कई लड़कियों के जीवन को नष्ट कर दिया है।”
शाहजहांपुर के एसएस लॉ कॉलेज की यह छात्रा वीडियो वायरल होने के बाद लापता हो गयी थी। इस मामले में कुछ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि आरोप लगाने वाली छात्रा गायब है, उसके साथ उन्नाव गैंग रेप पीड़िता जैसा कुछ न हो, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट दखल दे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में संज्ञान लिया था।
चिन्मयानंद मामला : कानून की छात्रा को सुप्रीम कोर्ट में पेश करने का आदेश
लड़की के पिता ने कोतवाली शाहजहांपुर में मुकदमा धारा 364 506 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया कि वह (छात्रा) मुमुक्षु आश्रम के प्रमुख एवं 72 वर्षीय भाजपा नेता चिन्मयानंद के इशारे पर लापता की गई। हालांकि भाजपा नेता के वकील ने इस आरोप का खंडन करते हुए दावा किया था कि यह उन्हें ब्लैकमेल करने की एक साजिश है। हालाँकि, यूपी पुलिस की स्पेशल टीम ने 7 दिन बाद राजस्थान के जयपुर से करीब 95 किलोमीटर दूर टोंक में लड़की को बरामद किया था। लड़की अपने दोस्त संजय सिंह के साथ थी।