निर्भया केस: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की अक्षय की रिव्यू पिटिशन, नहीं रद्द होगी निर्भया के दोषियों की फांसी

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निर्भया केस: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की अक्षय की रिव्यू पिटिशन, नहीं रद्द होगी निर्भया के दोषियों की फांसी

सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया केस के दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर की रिव्यू पिटिशन खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा कि इस मामले में दोषी के वकील को पूरा मौका दिया गया, लेकिन दोषी के वकील ने कोई नई बात नहीं की है।

3 जजों की पीठ ने की सुनवाई

बुधवार को जस्टिस भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दोपहर 1 बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया। बहस के दौरान दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने अपने मुवक्किल को फांसी नहीं देने की मांग की। सरकार की तरफ से पेश वकील एसजी तुषार मेहता ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सभी दलीलों को सबूतों को परखने के बाद फांसी की सजा सुनाई, जो कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना।


तुषार मेहता ने कहा कि ये मामला फांसी के लिए फिट केस है, क्योंकि यह मानवता के खिलाफ हमला था। उन्होंने कहा कि इस केस में बिना देरी के तुरंत फैसला करना चाहिए। साथ ही तुषार मेहता ने यह भी कहा कि दोषी किसी तरह की सहानुभूति पाने का हकदार नहीं है, उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए।

फांसी पर लटकाने की जल्दी और हड़बड़ी क्यों?

दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने कहा कि जब देश मे इतने लोगों की दया याचिका दाखिल होने के बाद भी फांसी लंबित है। तो उनको ही लटकाने की जल्दी और हड़बड़ी क्यों? ये प्रेशर में हो रहा है। वकील ने मुख्य गवाह अमरिंदर पांडे पर सवाल उठाया और कहा कि मामले में उनके सबूत और प्रस्तुतियां अविश्वसनीय हैं।

दोषी अक्षय की तरफ से वकील ने यह भी कहा कि मुझे फांसी इसलिए दी जा रही है क्योंकि मैं गरीब हूं। इस मामले में सब कुछ राजनीतिक एजेंडे की तरह हो रहा है। वकील सिंह ने याचिका पढ़ते हुए वेद, पुराण, त्रेता युग का जिक्र किया और कहा कि कलयुग में लोग केवल 60 साल तक जीते हैं जबकि दूसरे युग में कहीं ज्यादा।



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