उत्तर प्रदेश के साधु-संतों को रिझाने के लिए योगी सरकार बड़ा दांव चलने जा रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक योगी सरकार पेंशन योजनाओं में साधु-संतों को शामिल करने का कदम उठाने जा रही है। यूपी सरकार वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत सूबे के सभी जिलों में शिविर लगाकर साधु-संतों को प्रोत्साहित करके इस योजना के दायरे में शामिल कर उन्हें लाभ देगी।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अभी तक चल रही पेंशन योजना में साधु-संतों को इसलिए शामिल नहीं किया जाता था, क्योंकि उनके पास मूलभूत कागजात और दस्तावेज नहीं होते थे। सरकारें भी संतों को सुविधाओं को लेकर उदासीन थी। अब योगी सरकार ने हर जिले में शिविर लगा वृद्धावस्था पेंशन में छूटे हुए लोगों को शामिल करने का फैसला किया है। इसमें विशेष तौर पर ध्यान दिया जाएगा कि साधु-संतों को भी शामिल किया जाए।
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सरकार के सूत्रों का ये भी कहना है कि अभी तक साधु-संतों को सरकारी सह न मिलने के कारण वो पेंशन योजनाओं के लिए आवेदन भी नहीं कर पाते थे। लेकिन मौजूदा सरकार ने साधु-संतों को प्रोत्साहित करके इस योजना के दायरे में लाने का फैसला किया है ताकि उन्हें भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि हरेक निराश्रित महिला, पुरुष और दिव्यांग को 500 रुपये पेंशन दिया जाएगा। प्रदेश सरकार सभी निराश्रित जनों को बिना भेदभाव के उनके पात्रता के हिसाब पेंशन देगी। आज से लेकर 30 जनवरी तक पूरे प्रदेश में हम विशेष कैंप आयोजित करने जा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि इसमें किसी भी निराश्रित को छोड़ा न जाए। इस दिशा में कोर्ट ने भी समय-समय पर हमारा ध्यान दिलाया है।’ उन्होंने कहा कि उनकी सरकार वृद्धावस्था पेंशन, निराश्रित पेंशन और दिव्यांग जन पेंशन दे रही है।
अखिलेश यादव ने किया तंज
उधर, योगी सरकार के इस ऐलान पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी तंज किया है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि साधु-संतों को 20 हजार रुपये पेंशन दिया जाए। अखिलेश ने कहा, ‘ योगी सरकार साधु-संतों को भी पेंशन दे। उन्होंने कहा कि हमने तो रामलीला के पात्रों को पेंशन देने की स्कीम शुरू की थी। सीएम योगी भी राम और सीता को पेंशन दें और राम-सीता से बचे तो रावण को भी पेंशन दें।’
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले योगी सरकार प्रदेश की तमाम महत्वपूर्ण योजनाओं को जोर-शोर से प्रसारित करने में लगी है, जिनमें आयुष्मान उज्जवला और सौभाग्य जैसी कई योजनाएं हैं। ये योजनाएं सीधे तौर पर जनता से जुड़ी हुई हैं। ऐसे में बीजेपी सरकार की इन योजनाओं का प्रसार करके ज्यादा से ज्यादा लाभ चुनाव में उठाना चाहती है। इसीलिए सरकार नए सिरे से इन योजनाओं के आवंटन शिविर लगाकर समस्याएं दूर करने और फीडबैक लेने का अभियान चला रही है।