अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार जो भी वादे करे मगर आंकड़े केंद्र सरकार की परेशानी बढ़ाने वाले सामने आ रहे हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार सुस्त ग्रामीण मांग के कारण देश में चार दशक में पहली बार 2017-18 में उपभोक्ता खर्च में गिरावट आई है। कई एक्सपर्ट पहले से ही इसकी चेतावनी दे रहे थे। बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) की कथित लीक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। यह इस बात का संकेत है कि देश में गरीबी बढ़ रही है।
मासिक खर्च में आई गिरावट
NSO से जुड़े नेशनल सेम्पल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO) के द्वारा किए गए खपत पर सर्वे “प्रमुख संकेतक : भारत में घरेलू उपभोक्ता खर्च” के मुताबिक देश में प्रति व्यक्ति औसत मासिक खर्च में 3.7 फीसदी की गिरावट आई है। यह वित्त वर्ष 2011-12 के 1,501 रुपये घटकर वित्त वर्ष 2017-18 में 1,446 रुपये रह गया है। इस आंकड़े को वित्त वर्ष 2009-10 को बेस ईयर मानते हुए महंगाई के हिसाब से समायोजित किया गया है।
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आंकड़ों पर प्रियंका ने सरकार को घेरा
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सरकार पर हमला बोला है। प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, “भारत में उपभोक्ता खपत चरमरा गई है। पहले की सरकारों ने गरीबी हटाने और लोगों को सशक्त बनाने के लिए अथक प्रयास किए थे, लेकिन यह सरकार लोगों में गरीबी में ढकेलने का इतिहास बना रही है। उनकी नीतियों का ग्रामीण भारत खामियाजा भुगत रहा है, लेकिन बीजेपी यह सुनिश्चित कर रही है कि उसके कॉरपोरेट दोस्त दिन-ब-दिन धनी होते रहें।”
Consumer spending in India has collapsed. Successive govts have striven tirelessly to combat poverty and empower the people. This govt is making history by driving people into poverty: while rural India faces the dire consequences of their policies, the BJP ensures that their 1/2 pic.twitter.com/x0hgpnKHT3
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 15, 2019
ग्रामीण क्षेत्र में आई ज्यादा गिरावट
खबर के अनुसार, “मासिक प्रति व्यक्ति खपत व्यय (MPCE) के आंकड़े रियल टर्म में हैं, यानी इनको महंगाई के हिसाब से समायोजित किया गया है। इसमें 2009-10 को बेस ईयर माना गया है। साल 2011-12 में रियल MPCE में पिछले दो साल की तुलना में 13 फीसदी की बढ़त हुई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वित्त वर्ष 2018 में गांवों में उपभोक्ता व्यय में 8.8 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले छह साल की बात करें तो शहरों में उपभोक्ता व्यय में महज 2 फीसदी की बढ़त हुई है।
एक्सपर्ट्स की राय
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, उपभोक्ता व्यय में गिरावट से यह पता चलता है कि गरीबी बढ़ रही है और अर्थव्यवस्था में मांग में कमी आई है और इसका नेतृत्व ग्रामीण बाजार कर रहा है। यह सर्वे जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच हुआ था। अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि एनएसओ की रिपोर्ट 19 जून, 2019 को ही जारी होने वाली थी, लेकिन ‘खराब’ नतीजों की वजह से इसे रोक लिया गया। इसके पहले इंदिरा गांधी के शासन काल में 1973 खपत में गिरावट आई थी, जब वैश्विक स्तर पर बड़ा तेल संकट खड़ा हुआ था।
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