केंद्र की मोदी सरकार आयुष्मान भारत योजना को लेकर बड़े-बड़े दावे करते आई है। लेकिन आयुष्मान योजना के लाभार्थी इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं। ताजा मामला गोरखपुर के पीपीगंज कस्बे का है। शुक्रवार को आयुष्मान कार्ड धारक एक बुजुर्ग व्यक्ति अपनी बीमार पत्नी को ठेले पर लेकर भटकता रहा। सरकारी से लेकर निजी अस्पताल तक में वह पत्नी को लेकर गया। लेकिन कहीं भी इलाज नहीं मिला। मजबूरन उसे बीमार पत्नी को लेकर वापस घर लौटना पड़ा।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कैम्पियरगंज के महानखोर निवासी रामकेवल बेहद गरीब परिवार के हैं। वह आयुष्मान कार्डधारक हैं। उनकी पत्नी कैलाशी देवी कुछ वर्षों से बीमार चल रही है। शुक्रवार को उनकी पत्नी की हालत काफी बिगड़ गई। उसे तेज बुखार हो गया और सांस लेने में तकलीफ होने लगी। रामकेवल से पत्नी की हालत देखी नहीं गई। उसने कैलाशी देवी को ठेले पर लिटाया। इसके बाद वह पत्नी को लेकर दिन में करीब दो बजे पीपीगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुंचा। अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिले। उनके कमरे में ताला लटका रहा था। मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया।
निजी अस्पतालों ने भी नहीं किया भर्ती
सरकारी अस्पताल से वह पत्नी को ठेले पर लेकर कस्बे में निजी अस्पताल गए। हर जगह इलाज के नाम पर कर्मचारियों ने उनसे भारी भरकम रकम एडवांस में मांगी। रामकेवल ने आयुष्मान कार्ड होने का हवाला दिया। इसके बावजूद निजी अस्पताल के कर्मचारियों ने उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया।
मदद को आगे आए ग्रामीण
निजी अस्पताल से बाहर किए जाने के बाद बुजुर्ग पत्नी को ठेले पर लेकर रोते हुए लौटने लगे। इस दौरान भगवानपुर के पास ग्रामीणों की नजर उनपर पड़ी। रामकेवल ने बताया कि मेरे पास संपति के नाम पर आयुष्मान भारत का कार्ड है। जिसके बाद भी अस्पतालों में इलाज नहीं मिल रहा है। वहीं इलाके के पूर्व प्रधान बुजुर्ग दंपति की मदद के लिए आगे आए। वह दंपति को अपने साथ ले गए और शनिवार को किसी अच्छे अस्पताल में इलाज कराने का भरोसा दिलाया।