बिहार की पांच राज्यसभा सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होने जा रहे हैं। इस चुनाव के लिए सियासी गुना-गणित लगाए जा रहे हैं। बीजेपी के दो और जेडीयू के तीन राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल में पूरा हो रहा है, जिसके चलते ये चुनाव हो रहे हैं। मौजूदा समीकरण के लिहाज से इन 5 सीटों में से एनडीए के हिस्से में तीन जबकि दो सीटें आरजेडी और उसके सहयोगी दलों के खाते में जा सकती हैं। ऐसे में एनडीए के दोनों घटक दल भाजपा और जदयू अलग तरह की दुविधा में फंसे हुए हैं। दोनों दलों के सामने ये चुनौती है कि किसे भेजे और किसे नहीं?
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह, कहकशां परवीन, रामनाथ ठाकुर जेडीयू कोटे से हैं तो सीपी ठाकुर और आरके सिन्हा बीजेपी के खाते से राज्यसभा सदस्य हैं। चुनावी वर्ष और सामाजिक समीकरण के लिहाज से भाजपा के लिए दोनों को भेजा जाना जरूरी है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के समय में 54 साल पहले जनसंघ से जुड़े सिन्हा की पार्टी के प्रति अगाध आस्था रही है। राज्य के कई कायस्थ संगठनों के वे संरक्षक हैं। पिछले साल तक रविशंकर प्रसाद को मिलाकर बिहार से इस बिरादरी के दो सदस्य राज्यसभा में हुआ करते थे। लेकिन रविशंकर प्रसाद लोकसभा में चले गए। और अगर सिन्हा का टिकट कटा तो बिहार से राज्यसभा में कायस्थों का प्रतिनिधित्व गायब हो जाएगा। लिहाजा, भाजपा के लिए उनके दावे को खारिज करना आसान नहीं है।
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दूसरी तरफ डाॅ. सीपी ठाकुर की अनदेखी भी भाजपा को मुश्किल में डाल सकती है। सीपी ठाकुर बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं और भूमिहार समुदाय से आते हैं। भूमिहार समुदाय बिहार में बीजेपी का मजबूत वोटबैंक माना जाता है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी पर भूमिहारों की उपेक्षा का आरोप लगा था, लेकिन सीपी ठाकुर ने समर्थकों को समझा-बुझा कर शांत किया था। विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बीजेपी भूमिहारों को नाराज करने का जोखिम उठाना नहीं चाहेगी।
जदयू के लिए भी परेशानी का सबब
देखा जाए तो राज्यसभा चुनाव बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू के लिए भी परेशानी का सबब बन गया है। जेडीयू से हरिवंश सिंह, कहकशां परवीन और रामनाथ ठाकुर का कार्यकाल पूरा हो रहा है। हरिवंश सिंह राज्यसभा में उप सभापति हैं और पार्टी उन्हें अगर दोबारा नहीं भेजती है तो जेडीयू के कब्जे से यह महत्वपूर्ण पद निकल जाएगा। इसके अलावा परवीन और रामनाथ ठाकुर- दोनों अति पिछड़ी बिरादरी के हैं। यह जदयू का कोर वोट बैंक है। ऐसे में अब देखना होगा कि पार्टी इनमें से किसे दोबारा से भेजती है या नहीं।
मौजूदा सदस्यों के आंकड़ों को देखें तो बीजेपी के खाते में महज एक सीट आ सकती है तो जेडीयू के खाते में 2 सीटें और बाकी 2 सीटें आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन के खाते में जाने की संभावना है। ऐसे में जेडीयू और बीजेपी के कई नेताओं की राह मुश्किल नजर आ रही है।