पत्रकार अमीश देवगन (Amish Devgan) ने सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पर अपनी बेतुकी टिप्पणी के खिलाफ पुलिस शिकायतों दर्ज होने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में उनके खिलाफ दायर सभी एफआईआर पर रोक लगाने और उन्हें खारिज करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की है। शीर्ष अदालत की न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की अवकाश पीठ आज इस याचिका पर सुनवाई करेगी।
15 जून को अपने शो में एक बहस की मेजबानी करते हुए, अमीश ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Sufi Saint Moinuddin Chishti), जिन्हें ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के रूप में जाना जाता है, उन्हें “हमलावर” और “लुटेरा” कहकर बुलाया था। इसके बाद एंकर के खिलाफ देश भर में कई पुलिस शिकायतों और एफआईआर दर्ज की गईं। अधिवक्ता विवेक जैन की ओर से याचिका दायर की गई है और उन एफआईआर को रद्द करने का प्रयास किया गया है।
जिनमें IPC की धारा 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करना ) 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ाना), धारा 505 (सार्वजनिक दुराचरण के लिए बयान देना) और 34 (सामान्य अभिप्राय में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत अमीश के खिलाफ आरोप लगाया गया है।
अमीश देवगन ने ट्विटर पर कहा था कि “अपनी एक बहस में, मैंने अनजाने में ‘खिलजी’ को चिश्ती कह दिया। मैं ईमानदारी से इस गंभीर त्रुटि के लिए माफी मांगता हूं और यह सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के अनुयायियों के लिए दुख की बात हो सकती है, जिन्हें मैं सम्मान देता हूं। मैंने भी पहले उनकी दरगाह पर आशीर्वाद लिया है। मुझे इस त्रुटि पर खेद है।’
देवगन ने बुधवार दोपहर को माफीनामे में कहा, “मुझे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पर पूरी श्रद्धा है।” मैं खुद भी अजमेर शरीफ में जियारत के लिए जाता हूं, अगर मेरे बयान से किसी को ठेस पहुंची है, तो मुझे इसका अफसोस है।” पुलिस की शिकायतों और एफआईआर के अलावा, कई मुस्लिम संगठनों ने भी एंकर की टिप्पणी की निंदा की है।
दारुल उलूम देवबंद ने भी एक प्रेस बयान जारी कर एंकर के शब्दों के चयन की निंदा की और देवगन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। इसके अलावा भी देश के कई हिस्सों में अमीश देवगन के बेतुके और घटिया बयान देने की वजह से उनके खिलाफ कई शिकायत दर्ज कराई गई है।