बिहार में दर्जन भर सीटों पर रहा है वाम दलों का दबदबा, नतीजों को करते रहे हैं प्रभावित

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बिहार में दर्जनों सीटों पर रहा है वाम दलों का दबदबा, नतीजों को करते रहे हैं प्रभावित

लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद बिहार महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पायी है। अभी भी सहयोगी दलों में सीटों को लेकर पेच फंसा है। राजद ने महागठबंधन की ओर से वामपंथी दलों को एकमात्र आरा लोकसभा सीट ऑफर की है, जिसे वामपंथी दलों ने खारिज कर दिया है।

लोकसभा चुनाव में बिहार के वामपंथी दल भले ही अपनी जमीन की तलाश में हों, लेकिन यह भी हकीकत है कि बिहार में करीब दर्जन भर सीटें ऐसी हैं, जहां उनका जनाधार बरकरार है और नतीजे पर वो असर डालते हैं। इनमें करीब 6-7 सीटें ऐसी हैं, जहां ये दल सीधे हार-जीत को प्रभावित करते रहे हैं। वैसे माना यही जाता है कि इनकी नाराजगी का सीधा नुकसान राजद (महागबठंधन में शामिल दलों) को हुआ है।


वर्ष 2014 के चुनाव में वाम दलों से तालमेल नहीं होने का खामियाजा महागठबंधन के उम्मीदवारों को आरा, सीवान, बेगूसराय, पाटलीपुत्र, काराकाट, उजियारपुर, मधुबनी आदि सीटों पर भुगतना पड़ा था। माना जाता है कि इन सीटों पर महागठबंधन की हार का प्रमुख कारण वामदलों की नाराजगी रही। चुनाव में लहर किसी भी दल की हो पर वाम दलों के प्रतिबद्ध मतदाता अपने उम्मीदवार को ही वोट करते हैं। महागठबंधन से बात अगर वाम दलों की नहीं बनी तो इस बार भी उसे परिणाम भुगतना पड़ सकता है।

पाटलीपुत्र सीट

गौरतलब है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनकी पुत्री मीसा भारती की हार का कारण भी यही वाम दल बनते रहे हैं। पाटलीपुत्र सीट के वर्ष 2014 और 2009 के लोकसभा चुनाव नतीजे से यह बात साबित भी होती है। दोनों बार वाम दल (भाकपा-माले) के उम्मीदवार ने निर्णायक वोट हासिल लिए थे। पहली बार वर्ष 2009 में लालू प्रसाद महज 23,541 वोटों से चूक गए थे। उस चुनाव में भाकपा-माले के प्रत्याशी को 55 हजार वोट मिले थे। दूसरी बार वर्ष 2014 के चुनाव में भी लालू यादव की पुत्री मीसा भारती 40,322 वोट से चुनाव हार गई थी। यहां भी माले प्रत्याशी ने 51 हजार से अधिक वोट प्राप्त किए थे।


बेगूसराय सीट

बेगूसराय और सीवान सीटों पर भी वाम दलों का खासा दखल है। यहां हारने के बाद भी डेढ़ लाख से अधिक वोट इन दलों को मिलते रहे हैं। पिछले चुनाव में भाजपा के भोला सिंह ने बेगूसराय सीट से इसलिए बाजी मार ली, क्योंकि राजद प्रत्याशी के अलावे भाकपा के प्रत्याशी शत्रुघ्न सिंह को 1.92 लाख वोट मिले थे। राजद के तनवीर हसन को 3.69 लाख से अधिक वोट लाने पर भी हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2009 के चुनाव में भाकपा प्रत्याशी की महज 40 हजार वोटों से हार हुई थी और पार्टी यहां दूसरे स्थान पर रही थी। वर्ष 2004 के चुनाव में भी कांग्रेस की कृष्णा शाही के हार का कारण भाकपा प्रत्याशी की उपस्थिति रही थी।

आरा और सीवान सीट

पिछले चुनाव में आरा सीट से राजद के भगवान सिंह कुशवाहा 2.55 लाख वोट लाने के बाद भी भाजपा प्रत्याशी राजकुमार सिंह से हार गए थे। कारण वही था। माले प्रत्याशी राजू यादव ने यहां भी 98,805 वोट ले लिया था। वर्ष 09 के चुनाव में आरा सीट से माले को 1.15 लाख वोट मिले थे। सीवान सीट पर माले के अमरनाथ यादव ने राजद के हीना शाहाब के 81 हजार से अधिक वोट काट लिए। कारकाट में भी राजद की कांति सिंह को पिछले दो लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2009 में तो उनकी हार महज 20,483 वोट से हो गई। माले ने यहां भी 37,493 वोट हासिल किए थे।

वर्ष 2014 में वाम दलों की मौजूदगी 14-15 सीटों पर त्रिकोणात्मक संघर्ष की स्थिति बनाती रही। 17वीं लोकसभा चुनाव के समय भी कमोबेश यही स्थिति बनी हुई है। बेगूसराय, आरा, काराकाट, सीवान, पाटलीपुत्र, उजियारपुर, बांका , खगड़िया, बेतिया, जहानाबाद, मधुबनी, दरभंगा, मोतिहारी और गया सीटों पर तीनों वाम दलों की पूरी तैयारी चल रही है।

चुनाव को लेकर महागबंधन के दलों में सीट शेयरिंग का मामला नहीं सुलझा है पर बिहार में तीन वाम दलों में एकता हो गई है। ये वाम दल (भाकपा, माकपा और भाकपा-माले) मिल कर कम से कम 14 लोक सभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ सीटों पर उम्मीदवार भी तय कर लिए गए हैं। अगर ऐसा होता है तो कम से कम 6-7 सीटों के चुनाव परिणाम सीधे तौर पर प्रभावित हो जाएंगे।

भाकपा माले की 6 सीटों पर तैयारी

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल भी मानते हैं कि कई दौर की बातचीत के बाद महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी है, मगर बातचीत जारी है। वैसे महागठबंधन से चुनावी करार नहीं हुआ तो वामपंथी दल एकजुटता के साथ चुनाव लड़ेंगे और इसकी तैयारी भी है।

भाकपा माले के बिहार राज्य कार्यालय सचिव कुमार परवेज के मुताबिक पार्टी की आरा, सीवान, काराकाट, जहानाबाद, पाटलिपुत्र और बाल्मीकिनगर सीट पर तैयारी है।

भाकपा के उम्मीदवार तय

भाकपा के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह के मुताबिक, बेगूसराय से कन्हैया कुमार, मधुबनी से रामनरेश पाण्डेय, खगडिय़ा से सत्य नारायण सिंह, मोतिहारी से शालिनी, गया से जानकी पासवान एवं बांका से संजय कुमार सिंह की उम्मीदवार तय है। सेंट्रल कमेटी चाहेगी तो नवादा सीट पर भी उम्मीदवार देंगे। उन्होंने कहा कि गठबंधन के लिए बातचीत चल रही है और अगले कुछ दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

वहीं माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने स्पष्ट तौर पर कहा कि महागठबंधन में माकपा को दरकिनार करके सीट शेयरिंग पर वामदल समझौता नहीं करेंगे। पार्टी के स्तर से उजियारपुर सीट पर चुनावी तैयारी जोरों पर है।


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