लोकसभा चुनाव में मोदी अकेले नहीं, कुल 29 दलों के साथ बीजेपी का गठबंधन

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2019 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में अब कुछ ही समय बचा है। सभी दल सीटों के गणित को साधने में लगे हैं। कई नेता और दल सीटों के समीकरण को देखते हुए अपना पाला भी बदलते नज़र आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ‘मोदी वर्सेज ऑल’ मुकाबले के तौर पर प्रचारित कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अपनी हर रैली में विपक्षी महागठबंधन (Mahagathbandhan) को महामिलावट बता रहे हैं।  लेकिन देखा जाए तो खुद बीजेपी (BJP) ज्यादा से ज्यादा दलों से हाथ मिलाने की कोशिश करती नज़र आ रही है। साल 2014 में भाजपा ने 16 सहयोगी दलों के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, वहीं इस बार यह आंकड़ा 29 पहुँच गया है।

गठबंधन के लिए बीजेपी ने जीती हुई सीटें भी छोड़ीं

भारतीय जनता पार्टी जहां देश स्तर पर चुनाव को मोदी वर्सेज ऑल बनाना चाहती है। तो वहीं राज्यों के समीकरण के हिसाब मजबूत गठबंधन के पक्ष में भी है। इतना ही नहीं, भाजपा सहयोगी दलों के लिए बहुत कुछ त्याग करती दिखाई दे रही है।


महाराष्ट्र और गोवा

बीजेपी के समझौते का ग्राफ महाराष्ट्र में और बढ़ जाता है। यहां पार्टी ने शिवसेना के साथ गठबंधन किया है। शिवसेना समय-समय नोटबंदी, अर्थव्यवस्था और सर्जिकल स्ट्राइक सहित कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमलावर रही है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने पीएम मोदी को ‘चोर’ तक कह दिया था। इसके साथ ही महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले की आरपीआई के साथ राष्ट्रीय समाज पक्ष और विनायक मेटे की शिव संग्राम पार्टी भी शामिल है।

महाराष्ट्र से सटे गोवा की बात की जाए तो राज्य में बीजेपी की सरकार गोवा फॉरवर्ड पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के सहयोग से चल रही है। लोकसभा चुनाव में भी यह दल बीजेपी के साथ रहेंगे।

दक्षिण भारत

वहीं तमिलनाडु में एनडीए  में एआईएडीएमके, पीएमके, डीएमडीके, एन आर कांग्रेस, पुथिया तमलगम, और पुथिया नीधि काच्छी शामिल हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो अकेले तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में एनडीए के कुनबे में 6 दल शामिल हैं। दक्षिण भारत के एक और राज्य केरल की बात करें तो यहाँ बीजेपी का सबसे बड़ा सहयोगी दल भारत धर्म जन सेना (BDJS) है। इसके अलावा केरल कांग्रेस (थॉमस) भी एनडीए गठबंधन का हिस्सा है।


नार्थ-ईस्ट

पूर्वोत्तर में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में NDA की तर्ज पर नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) का गठन किया गया है। हाल के समय में नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर असम गण परिषद, पिपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी ने NEDA के अलग होने का फैसला लिया। लेकिन बीजेपी के लिए राहत भरी खबर यह है कि अभी भी बहुत सारे दल गठबंधन के साथ खड़े हैं।

बीजेपी के साथ गठबंधन में मेघालय में कोनराड संगमा की नेशनल पिपुल्स पार्टी, अलम में बोडोलैंड पिपुल्स फ्रंट, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, मिजो नेशनल फ्रंट, इंडीजीनस पिपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा, मणिपुर डेमोक्रेटिक पिपुल्स फ्रंट, गणशक्ति पार्टी और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी शामिल हैं।

यूपी-बिहार

सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो सीएम योगी आदित्यनाथ भाजपा के सहयोगी दलों को एक करने मे लगे हैं। उन्होंने ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव पार्टी और अपना देल के सात नेताओं को अलग-अलग बोर्ड और निगमों में नियुक्ति दी है।

40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में पिछले चुनाव में बीजेपी के साथ राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी शामिल थे। जबकि नीतीश कुमार की जेडी (यू) अलग चुनाव लड़ी थी। लेकिन इस बार एनडीए गठबंधन में जद (यू) शामिल है, जबकि आरएलएसपी विपक्षी गठबंधन में शामिल हो गई है। बिहार की सीटों का बीजेपी के लिए महत्व का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पिछले चुनाव में 2 सीट जीतने वाली जेडी (यू) को गठबंधन में 17 सीटें दी गई हैं। बिहार से अलग हुए राज्य झारखंड की गिरिडीह सीट पर भाजपा पिछले पांच बार से जीतती रही है, लेकिन इस बार उन्होंने यह सीट अपने सहयोगी दल आजसू के लिए छोड़ दी।
इसके अलावा पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के साथ बीजेपी का गठबंधन है।

बीजेपी बनाम विपक्षी एकता

एक ओर जहां बीजेपी के सामने पिछले चुनावी प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है, तो वहीं विपक्ष भी बीजेपी की घेराबंदी को तोड़ने में पूरी तरह से जुट गया है। सभी विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा को हराने की रणनीति तैयार कर रहें हैं। विपक्षी गठबंधन की एकजुटता कई मंचों पर भी देखने को मिली है। गौरतलब है की लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई के बीच सात चरणों में संपन्न होंगें। मतगणना 23 मई को होगी, जो देश में आगे की सत्ता का मार्ग सुनिश्चित करेगी।


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