Calcutta High Court: शादी और धर्म परिवर्तन को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

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इतिहास में 2 जुलाई- 1862 में कलकत्ता उच्च न्यायालय का उद्घाटन हुआ

Calcutta High Court: शादी और धर्म परिवर्तन को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने एक अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई वयस्क महिला (Adult Lady) अपनी पसंद से शादी और धर्म परिवर्तन का फैसला करती है और फिर पिता के घर में नहीं आती है तो फिर इसमें आप दखलंदाजी नहीं कर सकते हैं। खबरों के अनुसार कलकत्ता हाईकोर्ट ने ये फैसला सोमवार को एक केस की सुनवाई के दौरान लिया।

हाईकोर्ट की इस बेंच में न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और अरिजीत बनर्जी थे। ये बेंच एक पिता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिनका कहना था कि उनकी बेटी सितंबर 2020 से गायब है और उसने शादी करके धर्म परिवर्तन कर लिया है।


क्या है पूरा मामला?

इस मामले को लेकर 7 दिसंबर 2020 को बंगाल के मुरुतिया पुलिस स्टेशन में एक रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। इसमें एक पिता ने कहा कि उनकी 19 साल बेटी ने भाग कर असमूल शेख नाम के एक शख्स से शादी कर ली। मामले की सुनवाई के दौरान उनकी बेटी पल्लवी सरकार का एक बयान भी दिखाया गया। 16 सितंबर 2020 को दर्ज किए गए इस बयान में उनकी बेटी ने कहा कि असमूल के साथ उनके रिश्ते थे और वो खुद अपनी मर्जी से उनके साथ रह रही है। पल्लवी के पिता ने हाईकोर्ट में कहा कि जिस दिन उनकी बेटी का बयान दर्ज किया गया उस दिन उन्हें उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी गई। उनकी बेटी ने अपना नाम बदल कर आयशा खातुन रख लिया है।

अब हाईकोर्ट का कहना है की लड़का और लड़की दोनों 23 दिसंबर को कोर्ट में जज के सामने बयान दें। जिससे यह साफ़ हो सके कि लड़की ने यह फैसला अपनी मर्ज़ी से लिया है, उस पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं था। जज ने ये भी कहा है कि जब ये एक साथ आएंगे तो इनके रूम में कोई और नहीं होगा।

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने लिया था यह फैसला

बता दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने तथाकथित लव जिहाद की घटनाओं को रोकने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी। जिसमें विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है।


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