बुधवार, 26 जून 2019 को जैसे ही सामंत गोयल को रॉ चीफ और अरविंद कुमार को आईबी का निदेशक नियुक्त किया गया एक दिलचस्प संयोग देश के सामने आ गया। आपको बता दें की इस समय देश के सुरक्षा प्रमुखों को लेकर एक अनोखा इत्तेफाक देखने को मिल रहा है। एनआईए, बीएसएफ से लेकर सिविल एविएशन सिक्यॉरिटी तक में 1984 बैच के आईपीएस अफसरों का दबदबा है। यह एक संयोग ही है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन अथॉरिटी के प्रमुख 1984 बैच के ही हैं।
गौरतलब है कि ये सिलसिला 2017 में शुरू हुआ था। जब 1984 बैच के असम-मेघालय कैडर के अधिकारी वाईसी मोदी को सितंबर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी का महानिदेशक नियुक्त किया गया। इसके बाद कई अन्य अधिकारी नियुक्त हुए, जो 1984 बैच के ही थे। अब इन अधिकारियों को ‘लकी क्लास ऑफ 84’ कहा जा रहा है।
ये सफर आगे बढ़ा जनवरी, 2018 में, जब तेलंगाना काडर के सुदीप लखाटिया को नैशनल सिक्यॉरिटी गार्ड का महानिदेशक बनाया गया। इसके तीन महीने बाद ही बिहार काडर के अधिकारी राजेश रंजन को अप्रैल, 2018 में सीआईएसएफ का महानिदेशक बनाया गया। सीआईएसएफ के चीफ बनने से पहले वह बीएसएफ में विशेष महानिदेशक थे।
आपको बता दें कि 5 महीने बाद ही 1984 बैच के यूपी कैडर के अधिकारी रजनीकांत मिश्रा को बीएसएफ चीफ नियुक्त किया गया। मिश्रा के बाद हरियाणा काडर के अधिकारी एस.एस. देशवाल को इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस का चीफ बनाया गया। आईटीबीपी के मुखिया बनने से पहले देशवाल सीमा सुरक्षा बल के चीफ थे। जनवरी में गुजरात काडर के अधिकारी राकेश अस्थाना को उड्डयन सुरक्षा निदेशालय का महानिदेशक नियुक्त किया गया।
1984 बैच का लक एक बार फिर इस बुधवार को देखने को मिला,जब पीएम मोदी ने सामंत गोयल को रॉ का चीफ बनाया और उनके ही बैचमेट अरविंद कुमार को आईबी का निदेशक नियुक्त किया।