जीका वायरस (Zika Virus) दुनिया भर के कई देशों के लिए समस्या बनता जा रहा है। 86 देशों में इसके होने की पुष्टि की जा चुकी है। भारत में भी इसका खतरा बढ़ता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक जीका वायरस एडीज मच्छर से फैलता है, जो दिन के समय काटता है। महिलाएं और बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
भारत में 2017 में पहली बार इसके प्रसार की पुष्टि अहमदाबाद में हुई थी, जिसके बाद तमिलनाडु और राजस्थान में भी इसकी पुष्टि हुई।
क्या है जीका वायरस?
यह एक वायरस जो एडीज एजिप्टी (Aedes Aegypti) मच्छर से फैलता है। यह मच्छर ज्यादातर दिन के समय काटता है और इसके कारण ही डेंगू, चिकनगुनिया और यलो फीवर भी होता है।
कैसे फैलता है यह वायरस?
इस वायरस से संक्रमित इंसान का खून किसी अन्य इंसान को चढाने या ऑर्गेन ट्रांसप्लांटेशन के अलावा शारीरिक सम्बंध बनाने से भी यह फैलता है। साथ ही गर्भवती मां के इस वायरस से संक्रमित होने पर बच्चा भी इससे संक्रमित हो जाता है।
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लक्षण और खतरा
जीका वायरस से संक्रमण के बाद लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देते हैं। 3-14 दिन के समय के बाद लक्षण बेहद माइल्ड दिखाई देते हैं। इसमें हल्का बुखार, स्किन पर चकत्ते, कंजक्टिवाइटिस, मांसपेशियाें और जोड़ों में दर्द, सिरदर्द शामिल है। ऐसा करीब 2-7 दिन तक हो सकता है और बीमारी बढ़ने पर न्यूरोलॉजिकल और ऑर्गन फेलियर हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान नवजात में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और ब्रेन डेमेज तक हो सकता है।
इससे प्रभावित बच्चा आकार में छोटे और अविकसित दिमाग के साथ जन्म लेता है। इसके अलावा लोग लकवा का शिकार हो जाते हैं।
अब तक नहीं मिला है इलाज
जीका वायरस से बचाव के लिए अभी तक कोई वैक्सीन और इलाज नहीं मिल पाया है। WHO के मुताबिक, इसके लक्षण दिखने पर ब्लड, यूरिन या सीमेन टैस्ट से पुष्टि की जाती है। फिलहाल इलाज न होने के कारण बुखार और दर्द को कम करने वाली दवाएं देने के साथ मरीज में लगातार पानी की पूर्ति की जाती है। गर्भवती महिलाओं को खास देखभाल की जरूरत होती है,क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चा आसानी से संक्रमित हो जाता है।
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सावधानी से ही बचाव
इलाज न मौजूद होने के कारण सावधानी ही इसका सबसे बड़ा इलाज है। गर्भवती महिलाओं को खास देखभाल की जरूरत होती है,क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चा आसानी से संक्रमित हो जाता है।
इससे बचाव के लिए मच्छरों से खुद को बचाएं हल्के रंग के कपड़े पहनें, खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें। मॉस्क्यूटो रिपेलेंट और माक्चारदानी का इस्तेमाल करें। क्योंकि मच्छर पानी में पनपते हैं, तो घर के आस- पास पानी न जमा होने दें।
बता दें कि जीका वायरस की पहचान पहली बार वर्ष 1947 में हुई थी। इसका पहला मामला पहला मामला युगांडा में 1947 में बंदरों में देखा गया था। 1952 में युगांडा और यूनाइटेड रिपब्लिक ऑफ तंजानिया में पहली बार इंसान में इसे डिटेक्ट किया गया था। आज 86 देश इसकी चपेट में हैं।