झारखंड: 3 साल पहले भूख से हुई थी शख्स की मौत, NHRC का आदेश- परिजनों को 1 लाख रुपया मुआवजा दे सरकार

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झारखंड: 3 साल पहले भूख से हुई थी शख्स की मौत, NHRC का आदेश- परिजनों को 1 लाख रुपया मुआवजा दे सरकार

झारखंड के झरिया इलाके में तीन साल पहले आर्थिक तंगी और भूख से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। 40 साल के वैद्यनाथ रविदास का राशन कार्ड नहीं बनने के कारण घर में अनाज नहीं था और भूख की वजह से उसने दम तोड़ दिया। अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने झारखंड सरकार को मृतक के परिवार को 1 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने वैद्यनाथ रविदास की मौत का मामला एनएचआरसी में उठाया था। इसके जवाब में धनबाद के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ने बताया कि व्यक्ति की मौत बीमारी की वजह से हुई है। साथ ही मृतक के परिवार को राशन कार्ड जारी कर दिया गया है और साथ में 20 हजार रुपये मुआवजा के तौर पर उसके परिवार को दे दिया गया है। हालाँकि, मानवाधिकार आयोग ने जांच रिपोर्ट में पाया कि वैद्यनाथ रविदास की मौत के बाद प्रशासन ने ये कदम उठाये। आयोग ने माना कि प्रशासन की लापरवाही की वजह से मृतक का राशन कार्ड नहीं बन पाया और भूख के चलते उसकी जान चली गई। इसलिए आयोग ने सरकारी कर्मचारियों को शख्स की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है और मृतक के परिजनो को 1 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है।


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक वैद्यनाथ रविदास के बड़े भाई जागो रविदास के नाम से राशन कार्ड था। उसी कार्ड में इनके पूरे परिवार का नाम था। साल 2013 में बड़े भाई की मौत के दो महीने बाद परिवार को राशन मिलना बंद हो गया। राशन कार्ड नहीं होने के कारण बीपीएल लिस्ट से भी उनका नाम कट गया था। मृतक की पत्नी और बेटे सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाते रहे, लेकिन उनका राशन कार्ड नहीं बना।

बैद्यनाथ दास सांस की बीमारी होने के बावजूद रिक्शा चला कर पूरे परिवार का लालन-पालन करते थे। लेकिन, बीमारी और भूख के कारण धीरे-धीरे उनका शरीर कमजोर होता गया। फिर मृत्यु से एक महीने पहले उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ गई और वह वे बेड पर चले गये थे। कमाई बंद हो गई तो घर में अनाज के लाले पड़ने लगे। पत्नी ने दूसरे के घर में खाना बनाकर किसी तरह परिवार को पाला। लेकिन स्थिति इतनी खराब हो गई कि घर में दोनों वक्त खाना नहीं बना करता था। बच्चे भूख से बिलखते रहते थे। फिर एक दिन वैद्यनाथ रविदास की मौत हो गई।

बता दें कि सितंबर, 2017 में भी झारखंड के सिमडेगा में 10 साल की बच्ची संतोषी की भी मौत भूख की वजह से हो गई थी। यह मामला भी काफी दिन तक सुर्खियों में रहा था।



झारखंड : भूख ने ली व्यक्ति की जान, मुख्यमंत्री ने दिए जांच के निर्देश

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