Lunar Eclipse 2019: कब और कहां दिखेगा आंशिक चंद्रग्रहण? जानें इससे जुड़े कुछ तथ्य

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Lunar Eclipse 2019: कब और कहां दिखेगा आंशिक चंद्रग्रहण? जानें इससे जुड़े कुछ तथ्य

आज साल का आखिरी चंद्रग्रहण है। यह एक आंशिक चंद्रग्रहण है, जो 16 और 17 जुलाई के मध्य रात्रि को लगेगा। इसे भारत समेत यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी एवं दक्षिण पूर्व अमेरिका, प्रशांत और हिंद महासागर से देखा जा सकेगा।

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इस बार का यह चंद्रग्रहण कई मायनों में खास है, क्योंकि 149 सालों बाद गुरु पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रग्रहण का साया रहेगा। वहीं, आज ही के दिन ‘अपोलो 11 मिशन’ की 50वीं वर्षगांठ है। आइये जानते है इस आंशिक चद्रग्रहण के बारे में।

किस समय लगेगा चंद्रग्रहण?

आज साल 2019 का आखिरी चंद्रग्रहण है। यह ग्रहण 16 और 17 जुलाई के मध्य रात्रि 1 बजकर 30 मिनट से शुरू होगा और सुबह 4.30 मिनट तक रहेगा। भारतीय समय के अनुसार सुबह 3:00 बजे आंशिक चंद्रग्रहण की तीव्रता उच्चतम होगी, यानी इसी समय चंद्रमा का सबसे बड़ा हिस्सा पृथ्वी से ढ़का होगा। ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटे, 57 मिनट और 56 सेकंड होगी।

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कहां देख पाएंगे यह आंशिक चंद्रग्रहण?

16 और 17 जुलाई को लगने वाले इस चंद्रग्रहण को भारत समेत अधिकांश एशियाई देशों में देखा जा सकेगा। इसके साथ ही यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी एवं दक्षिण पूर्व अमेरिका, प्रशांत और हिंद महासागर से देखा जा सकेगा। भारत के पश्चिमी और मध्य क्षेत्र में रहने वाले लोग चंद्रग्रहण की पूरी अवधि तक इसे देख पाएंगे, जबकि देश के पूर्वी क्षेत्रों में यह बस चांद के छिपने के समय नजर आएगा।

16 जुलाई के आंशिक चंद्र ग्रहण से जुड़े कुछ तथ्य

  • यह एक आंशिक चंद्रग्रहण होगा। आखिरी पूर्ण चंद्रग्रहण इसी साल जनवरी में देखा गया था।
  • इस चंद्रग्रहण में प्रायद्वीपीय परिमाण (Penumbral Magnitude) 1.7037 और ओम्ब्रेल परिमाण (Umbral Magnitude) 0.653 होगा।
  • यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका और ग्रीनलैंड में दिखाई नहीं देगा।

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क्या होता आंशिक चंद्रग्रहण है?

अंतरिक्ष में सभी गृह और उपग्रह निरंतर गति करते हैं। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, जबकि चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस परिक्रमा की दौरान ही कभी कभी पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाता है। इस खगोलीय घटना के दौरान पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और पृथ्वी से चंद्रमा नजर नहीं आता है इस घटना को चंद्र ग्रहण कहते हैं। जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढ़क जाता है, तो यह पूर्ण चंद्रग्रहण होता है, जिसे सुपर ब्लड मून भी कहा जाता है। जबकि चंद्रमा का एक हिस्सा ही पृथ्वी की छाया से ढ़कता है, तो इसे आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं।

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क्यों खास है इस बार का चद्रग्रहण?

आज गुरु पूर्णिमा है और आज ही इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है। 149 सालों बाद गुरु पूर्णिमा के अवसर पर चंद्र ग्रहण का साया रहेगा। यह चंद्र ग्रहण काफी अहम है, क्योंकि 149 साल बाद गुरु पूर्णिमा के दिन ग्रहण लग रहा है। पिछली बार 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा के ही दिन ऐसा चंद्र ग्रहण लगा था, जिसका राशियों पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

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