झारखंड के इस गांव में पानी बनी समस्या, नहीं बजती है शहनाई, जवानी में ही बूढ़े हो रहे लोग

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झारखंड के इस गांव में पानी बनी समस्या, नहीं बजती है शहनाई, जवानी में ही बूढ़े हो रहे लोग

आजादी के 7 दशक के बाद भी देश के कुछ इलाके ऐसे हैं जो आज भी बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर हैं। इन 7 दशकों मे ना जाने कितने चुनाव आए और गए, दर्जनों जनप्रतिनिधि विधानसभाओं और संसद भवन की शोभा बढ़ाते रहे मगर लोगों के सवाल वहीं के वहीं। हम बात कर रहे हैं झारखंड के धनबाद की।

काले हीरे की नगरी और देश की कोयला राजधानी धनबाद के सुदूर इलाके में बसा घड़बड़ पंचायत के आधा दर्जन गांवों में अब शहनाई की गूंज नहीं गूंजती। अब तो कोई इस गांव में बिटिया का ब्याह भी नहीं करना चाहता है। इसका मुख्य कारण है गांवों में महामारी का रूप ले चुकी हड्डी रोग। जवानी में यहां के लोग मानो बुढ़ापे को न्योता देने लगे हैं तो युवा बैठने के बाद बड़े ही कष्ट से खड़े हो पाते हैं।


धनबाद के बलियापुर प्रखंड से 8 किलोमीटर की दूरी पर घड़बड़ सहित कई गांव हैं। इन गांवों के मुख्य मार्गों के किनारे लगे हैंडपंप लाल रंग से रंगे हुए हैं और उस पर चेतावनी के रूप में लिखा हुआ है पानी पीने योग्य नहीं। इसे देखकर इधर से गुजरने वाला हर सख्स पहले तो इसपर यकीन नहीं करता, मगर फिर मामले को समझने के बाद वो भी स्थिति की भयावहता को समझ जाता है।

हर घर में हड्डी के मरीज, नहीं होती है शादी

यह समस्या कितनी गंभीर है, इस बात से ही समझा जा सकता है कि घड़बड़ गांव में शायद ही कोई ऐसा घर बचा होगा, जिसमें हड्डी रोग के मरीज नहीं होंगे। हाथ-पैर टेढ़ा और कमर से झुक चुके इंसान हर घर में देखने को मिलते हैं। जवानी में ही जमीन पर बैठने के बाद फिर खड़ा होने में कष्ट झेलने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। गांव के भूगर्भ में जल स्रोत बेहतर है, लेकिन उसमें फ्लोराइड की मात्रा काफी अधिक है और यही वजह है कि यहां हड्डी रोग महामारी का रूप ले चुकी है। पानी में मिले फ्लोराइड नामक केमिकल धीरे-धीरे हड्डियों को न सिर्फ कमजोर कर रहा है बल्कि उन्हें गला भी रहा है। यहां के युवा कहते हैं कि यहां रिश्ते तो आते हैं, लेकिन कोई रिश्ता नहीं करना चाहता है। इस गांव में कोई भी अपनी बिटिया का ब्याह नहीं करना चाहता है।

आंदोलन से भी नहीं बदली तस्वीर

इस गांव के निवासी विजय सरकार सहित अन्य लोग कहते हैं कि पानी यहां की बहुत बड़ी समस्या है। इस पानी के पीने से हड्डियों में हमेशा दर्द रहता है। हड्डियां बैंड हो जाती है और दांत में पीलापन आ जाता है। पेयजल की मांग को लेकर कई बार आंदोलन भी किया गया, लेकिन अब तक पानी नहीं मिल पाया है। स्थानीय विधायक से लेकर एमपी तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने भी फरियाद नहीं सुनी।


पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक

वहीं धनबाद के प्रसिद्ध फिजीशियन की मानें तो पीने वाले पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने पर दांत खराब तो होते ही हैं साथ ही हड्डियां भी कमजोर हो जाती है। यही नहीं किडनी खराब होने नपुंसकता और मानसिक बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है। वहीं, पेयजल विभाग के अधिकारी की माने तो फ्लोराइड की मात्रा गांव में लगे हैंडपंप से निकलने वाले पानी मे फ्लोराइड की मात्रा अधिक है। पानी के सैंपल जांच में यह बातें सामने आयी है।

अधिकारियों का दावा- जल शुरू होगी जलापूर्ति योजना

वहीं इस समस्या पर सरकारी पहलकदमी में भी लापरवाही साफ-साफ दिखाई देती है। पेयजल विभाग के अधिकारी कहते हैं कि उन हैंडपंपों में पीने योग्य पानी नहीं है लिख दिया गया है साथ ही उन्होंने कहा कि 55 करोड़ की लागत से गांव में पानी पहुंचाने के लिए जलापूर्ति योजना का कार्य चल रहा है। नवंबर 2018 में इस जलापूर्ति योजना को शुरू होना था, लेकिन तकनीकी कारणों से अब तक यह जलापूर्ति योजना शुरू नहीं हो सकी है। जल्द ही इस योजना के तहत लोगों को पानी मिलना शुरू हो जाएगा।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कही ये बात

लोकसभा चुनाव प्रचार के सिलसिले में धनबाद आए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सभा में कहा कि अगले 5 सालों में हरगांव को पाइप लाइन के जरिए पानी मिलना शुरू हो जाएगा। सरकार इसे अपने घोषणापत्र में भी शामिल की है।

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