Karma Pooja 2020: कल है करमा पर्व, जानें पूजा विधि और रीति-रिवाज

  • Follow Newsd Hindi On  
Know the rituals and rituals of the Karma festival

Karma Pooja 2020: भारत के कई राज्यों में कल करमा  पूजा का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाएगा है। ये पर्व अच्छी फसल की कामना के लिए मनाया जाता है। ये पर्व बंगाल, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार हर वर्ष भाद्र मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।

इस वर्ष 29 अगस्त को पड़ रहा है। भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए बहने अपने घर के बाहर तालाब बनाती हैं। उसे अच्छी तरह फल-फूल से प्राकृतिक सौंदर्य देने के लिए सजाती हैं। फिर शाम में नए नए परिधानों में सज धज कर देवाधिदेव महादेव माता पार्वती और प्रथम पूजनीय सिद्धिविनायक की पूजा अर्चना करती हैं।


इसके बाद तालाब के चारों ओर घूम घूम कर करना धर्मा का गीत गाती हैं। इस मौके पर व्रतियों को करमा धर्मा की कथा भी सुनाई जाती है। इस लोक पर्व में कुमारी कन्या व महिलाएं और बच्चे भी उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं। इस त्योहार को प्रकृति पर्व भी कहा जाता है। लोग इस पर्व के माध्यम से अच्छी पैदावार की भी कामना करते हैं।

इस त्योहार में पूजा स्थल पर बने तालाब को भाई अपने बहन का हाथ पकड़ कर उसे पार कराने की भी परंपरा है। इस लोक पर्व का इंतजार लोग वर्ष भर करते हैं और काफी उत्साह के साथ संस्कृति की इस लोक परंपरा का निर्वहन करते हैं। करमा धर्मा की तैयारी बहने सात दिन पूर्व से ही करना शुरु कर देती है।

पूजा विधि


इस मौके पर एक बर्तन में बालू भरकर उसे बहुत ही अनूठे और रचनात्मक तरीके से सजाया जाता है। ये पर्व शुरू होने के कुछ दिनों पहले उसमें जौ डाल दिए जाते हैं। इसे ‘जावा’ कहा जाता है। यही जावा बहनें अपने बालों में गूंथकर झूमती-नाचती हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए इस दिन व्रत रखती हैं।

इस मौके पर भाई ‘करम’ वृक्ष की डाल लेकर घर के आंगन या खेतों में गाड़ते हैं। इसे वे प्रकृति के आराध्य देव मानकर पूजा करते हैं। पूजा समाप्त होने के बाद वे इस डाल को पूरे धार्मिक रीति‍ से तालाब, पोखर, नदी आदि में विसर्जित कर देते हैं। भारत के कई राज्यों में इस पर्व का विशेष महत्व है।

(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)