Eid ul Fitr 2021: ‘ईद मुबारक!’ इस त्यौहार को अमूमन लोग क्या समझते हैं? पब्लिक हॉली डे!, अच्छे रेस्टोरेंट में लजीज खाना!, भरपूर मनोरंजन वाली फिल्में देखना, मेला घूमना और घर पर बिरयानी के साथ सेवइयों का जायका लेना, लोगों को ईद मुबारक कहना!
ज्यादातर लोग ईद को इसी रूप में देखते-जानते और मानते हैं. लेकिन ईद मनाते क्यों हैं? आखिर क्या और क्यों है इस त्यौहार का महत्व? आज हम इसके पीछे की कहानी पर हम बात करेंगे…
क्यों रखे जाते हैं रोजे!
ईद और उसके पहले के रमजान के पूरे महीने को इस्लाम धर्म में बहुत पाक माना जाता है. दरअसल इस्लामिक कैलेंडर में नवां महीना रमजान को समर्पित किया गया है. रमजान माह के संदर्भ में मान्यता है कि करीब 1400 साल पहले सन् 610 (AD) में लैलत-अल-कद्र जिसे ‘नाइट ऑफ पॉवर’ (Night Of Power) भी कहा जाता है, इसी दिन अल्लाह ने पैगंबर मोहम्मद को पवित्र कुरान का ज्ञान दिया था, इसीलिए पवित्र रमजान के पूरे महीने रोजे रखे जाते हैं.
क्या है रोजे का मूल भाव
रोजे यानी सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक निर्जल उपवास रखना. मस्जिद द्वारा प्रातःकाल निर्धारित समय पर सहरी खाने के बाद नमाज पढ़ी जाती है और रोजा शुरू हो जाता है. सांयकाल यानी सूर्यास्त के बाद समूह में बैठकर इफ्तार किया जाता है, इसके साथ ही रोजा खुल जाता है. रोजे के दरम्यान, किसी भी प्रकार के बुरे कार्य लड़ाई-झगड़े, शराब, सिगरेट या तंबाकू, हिंसा इत्यादि से परहेज रखा जाता है. इस समय पर पवित्र कुरान के ज्ञान को अपनी जिंदगी में गहराई से उतारने की कोशिश की जाती है.
तन, मन और धन की होती है शुद्धि
रोजे रखते हुए महूसस होता है कि हमें कितना कुछ मिला है. कुछ देर बिना खाना खाये रहने से उन लोगों के प्रति भी हमदर्दी महसूस होती है, जो बहुत मुश्किलों से अपना व अपने परिवार का पेट भर पाते हैं. कृतज्ञता भी महसूस होती है, कि अल्लाह ने हमें कितना कुछ दिया है. इस कृतज्ञता की भावना से इस महीने हम अपनी कमाई का एक हिस्सा, गरीबों को दान में अथवा सेवा कार्य के लिए देते है. इस्लाम में इसे ‘जकात’ कहते हैं. मान्यता है कि दान करने से धन की शुद्धि होती है, और रोजे ऱखने से हमारे मन और शरीर की भी शुद्धि होती है.
साल भर हम तमाम ऐसी चीजों का सेवन करते हैं, मसलन पिज्जा, बर्गर, डोनट्स इत्यादि. ये हमारी सेहत के लिए बहुत अच्छे नहीं होते, इससे हमारी ब़ॉडी में टॉक्सिन इकट्ठा होती है. रोजे रखने से हमारी बॉडी रिडॉक्स और प्यूरीफाई हो जाती है, और हमारी सेहत बेहतर हो जाती है. इससे हमारा मन भी शांत हो जाता है.
रमजान इबादत और भाईचारे का प्रतीक है
रमजान का ये पाक महीना होता है, अल्लाह में अपनी इबादत. अपने अंदर का सब्र और भाईचारा बढ़ाने का. रमजान का महीना ईद का चांद देखने के बाद पूरा होता है. इसके बाद इस उत्सव को ईद-उल-फित्र के नाम से मनाया जाता है. इस त्यौहार के माध्यम से हम दुनिया भर में भाईचारे का संदेश देते हैं. इस दिन पर मीठा खासकर सेवइयां बनाई जाती हैं, इसीलिए इसे ‘मीठी ईद’ भी कहा जाता है.