Easter 2019: इस रविवार मनाया जायेगा ‘ईस्टर संडे’, जानें ईस्टर के पीछे की कहानी और महत्व

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Easter 2019: इस रविवार मनाया जायेगा 'ईस्टर संडे', जानें ईस्टर के पीछे की कहानी और महत्व

‘ईस्टर’ ईसाई धर्म का एक मुख्य पर्व है। क्रिसमस के अलावा ईसाई समाज के लिए ‘ईस्टर’ का बहुत महत्त्व है। क्रिसमस की तरह ईस्टर के दिन भी ईसाईयों के भगवान यीशु मसीह का जन्मदिन मनाया जाता है, लेकिन ईस्टर को यीशु मसीह के पुनर्जीवन की ख़ुशी के तौर पर मनाया जाता है।

ईसाई धर्म में अन्य धर्मों की तरह बहुत ज़्यादा पर्व नहीं होते हैं। ईसाई केवल दो पर्व मनाते हैं, ‘क्रिसमस’ को जहां यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, वहीं मान्यता है कि ‘ईस्टर’ के दिन उन्हें पुनर्जन्म मिला था। ‘गुड फ्राइडे’ को एक शौक दिवस माना जाता है क्योंकि ईसाई धर्म के अनुसार इसी दिन सूली पर चढ़ाकर भगवान यीशु मसीह की हत्या कर दी गयी थी। मान्यता है कि ‘गुड फ्राइडे’ के दिन यरुशलम की एक पहाड़ी पर यीशु को बिना किसी अपराध के सूली पर चढाकर मार डाला गया था। बता दें कि शुक्रवार 18 अप्रैल को ‘गुड फ्राइडे’ था।


कहा जाता है कि, मृत्यु के तीसरे दिन यीशु कब्र से जीवित बाहर निकले थे। अपने शिष्यों के साथ 40 दिन रहने के बाद उन्होंने लोगों को दर्शन दिया था और स्वर्ग चले गए थे। उस दिन को ईस्टर का नाम मिला था। इसलिए ही ‘गुड फ्राइडे’ के बाद तीसरे दिन को ‘ईस्टर’ के रूप में मनाया जाता है। मन जाता है कि यीशु मसीह ने दुनिया को प्यार, स्नेह और सत्य बांटने के लिए दूसरा जन्म लिया था। इसलिए ईसाई समाज के लोग ‘ईस्टर’ को भाईचारे और स्नेह का प्रतीक मानते हैं।

द ईस्टर सीजन

ईस्टर को ‘चर्च का वर्ष काल’ या ‘द ईस्टर सीजन’ भी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार ईस्टर काल 40 दिनों का होता है, लेकिन आधिकारिक तौर पर अब यह 50 दिनों का होता है। ईस्टर सीजन के पहले सप्ताह को ‘ईस्टर सप्ताह’ या ‘ओक्टेव ऑफ़ ईस्टर’ कहा जाता है। ईस्टर के इस पूरे सीज़न में ईसाई समाज के बहुत से लोग व्रत, प्रार्थना और प्रायश्चित आदि करते हैं।


ईस्टर संडे

ईस्टर संडे को ‘गुड फ्राइडे’ के तीसरे दिन ‘संडे को मनाया जाता है। दुनिया भर में ईसाई समाज द्वारा मनाया जाने वाला ये त्यौहार भगवान यीशु मसीह के पुनर्जन्म को समर्पित है इस दिन प्रेम, स्नेह, क्षमा की भावना को सेलिब्रेट किया जाता है। पहले इसाई समाज रविवार को पवित्र दिन की तरह मनाता था लेकिन बाद में गुड फ्राइडे सहित ईस्टर के पूर्व आनेवाले प्रत्येक दिन को पवित्र घोषित कर दिया गया।

कैसे मनाते हैं ईस्टर का त्यौहार?

ईस्टर संडे से एक दिन पहले सभी चर्चों में रात्रि जागरण होता है और धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती हैं। सबसे पहल चर्च के फादर ईस्टर की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान चर्च के फादर मोमबत्तियां जलाकर बाइबिल का पाठ करते हैं और भगवान यीशु मसीह के उपदेश सुनाते हैं। चर्च के फादर ईसाई समाज के लोगों के घरों में जाकर प्रभु यीशू के पवित्र जल छिड़कते हैं और सुख-शांति की कामना करते हैं। इस दिन ईसाई समाज के लोगों में आपस में मोमबत्तियां बांटने और जलाने की परम्परा है।

क्या है अण्डे और ईस्टर का सम्बन्ध? 

विश्व के कईं समाजों में अण्डे को नए जीवन,पुनर्जन्म आदि के सिंबल के रूप में देखा जाता है। ईसाई धर्म के लोग ईस्टर अण्डे को भगवान यीशू मसीह के पुनर्जन्म का सिंबल मानते हैं। इस दिन ईसाई समाज के कई लोग अण्डों को सजा कर बांटते हैं।

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