इस्लामी कैलेंडर के पवित्र महीने रमजान की शुरुआत हो चुकी है। 2019 का पहला रोजा भारत में 7 मई को रखा गया। दरअसल सोमवार 6 मई को भारत में रमजान का चांद नजर आया। इस्लाम का नौंवा महीना रमजान बरकत और मगफिरत का महीना है। पूरे महीने रमजान के रोजे रखने के बाद आखिर में ईद 2019 का त्योहार मनाया जाएगा। मुस्लिम समुदाय के लोग इस पूरे महीने रोजा (व्रत) करते हैं और भूखे-प्यासे खुदा की इबादत करते हैं। इस दौरान बाजारों में शाम के वक्त काफी रौनक रहती है और पुरार महीना इबादत का महीना माना जाता है।
सेहरी से होती है रोजे की शुरुआत
रोजा रखने की शुरुआत सुबह सेहरी से की जाती है। सेहरी यानी दिन निकलने से पहले रोजे रखने वाला व्यक्ति अपने इच्छा के अनुसार कुछ खा पीकर दुआ पढ़ता है और सुबह के अजान से पहले उसका रोजा शुरु हो जाता है। वहीं इफ्तार शाम के समय की जाती है जिसका अर्थ है व्रत खोलना, इसकी शुरुआत शाम की अजान(मग़रीब) के समय होती है। शाम के समय मुस्लिम रोजेदार लोग एक साथ बैठकर आमतौर पर खजूर और पानी से अपना रोजा खोलते हैं। रमजान के महीने में सहरी और इफ्तार का समय हर रोज कुछ मिनट आगे पीछे होता। नीचे देखिए पूरे रमजान महीने के सेहरी और इफ्तार का टाइम टेबल।
रमजान के पवित्र महीने की खास बात
रमजान का महीना मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए काफी महत्व रखता है। रमजान के पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग सच्चे दिल से रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं। पांचों समय की नमाज अदा करते हैं। इसके साथ ही रमजान के पवित्र महीने में कुरान शरीफ पढ़ने का काफी खास महत्व माना जाता है। इसलिए मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान माह में पाक किताब कुरान की तिलावत(पाठ) करते हैं।
जानिए क्या है तरावीह नमाज
रमजान के पवित्र महीने में मस्जिदों में रात में होने वाली ईशा की नमाज के तुरंत बाद तरावीह नमाज का आयोजन भी किया जाता है। तरावीह की नमाज के जरिए कुरान शरीफ की आयतों की तिलावत की जाती है। ऐसे में जो लोग कुरान पाक पढ़ने का समय नहीं निकाल पा रहे हैं या पढ़ नहीं सकते हैं तो वे तरावीह की नमाज में पूरे कुरान को सुन सकते हैं। तरावीह की नमाज अलग-अलग मस्जिदों में अलग-अलग अवधि में पूरी की जाती है।
जैसे कई मस्जिदों में 3 दिन में कुरान शरीफ पूरा किया जाता है तो कई मस्जिदों में कुरान पूरा करने के लिए 27 दिनों का समय लिया जाता है। कुरान पूरा होने के बाद खुशी में पवित्र ग्रंथ सुनाने वाले मस्जिद के पेश इमाम को खूब सारे तोहफे और धन दिये जाते हैं।