पुण्यतिथि विशेष: फौलादी इरादों से पहाड़ का सीना चीरने वाले ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी

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पुण्यतिथि विशेष: फौलादी इरादों से पहाड़ का सीना चीरने वाले 'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी

आज ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी की पुण्यतिथि है। यह नाम इंसानी जज्बे और जुनून की एक ऐसी मिसाल है जिसने असंभव को संभव कर दिखाया और अपने फौलादी इरादों से पहाड़ का सीना चीर दिया। आइये जानते हैं दशरथ मांझी के बारे में…..

–  दशरथ मांझी का जन्म गया जिले के गहलौर गांव में 1934 को हुआ था।


–  दशरथ मांझी के गांव के सामने एक पहाड़ था, जिसके कारण गांव वालों को आने जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था।

–  गहलौर और अस्पताल के बीच खड़े पहाड़ की वजह से साल 1959 में उनकी पत्नी फाल्गुनी देवी को वक्‍़त पर इलाज नहीं मिल सका और वो चल बसीं।

–  पत्नी के निधन पर दशरथ मांझी को बहुत दुख हुआ। इसके बाद मांझी ने अपनी सारी ताकत बटोरी और पहाड़ का सीना चीरने का फैसला किया। इसके लिए लोग उन्हें पागल तक कहने लगे।


–  1960 से 1982 के बीच दिन-रात दशरथ मांझी के दिलो-दिमाग में एक ही चीज़ ने कब्ज़ा कर रखा था। पहाड़ से अपनी पत्नी की मौत का बदला लेना। और 22 साल जारी रहे जुनून ने अपना नतीजा दिखाया और पहाड़ ने मांझी से हार मानकर 360 फुट लंबा, 25 फुट गहरा और 30 फुट चौड़ा रास्ता दे दिया।

–  दशरथ मांझी के गहलौर पहाड़ का सीना चीरने से गया जिले के अतरी और वज़ीरगंज ब्लॉक का फासला 80 किलोमीटर से घटकर महज 13 किलोमीटर रह गया।

–  फिल्म निदेशक केतन मेहता ने इस कहानी को रुपहले पर्दे पर उतारा फिल्म ‘मांझी द माउंटेन मैन’ में। ऐक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने दशरथ मांझी को अपने किरदार से जीवंत बना दिया।

–  साल 2007 में दशरथ मांझी ने 73 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।


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