एक रिपोर्ट के अनुसार कॉफी दुनियां का दूसरा सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला पेय पदार्थ है। कॉफी का नाम सुनते ही जेहन में बड़े बड़े ब्रांड के नाम याद आते हैं जैसे स्टारबक्स, कैफे नीरो और कॉस्टा ग्रेस आदि।
लैटिन अमरीका, सब सहारा अफ्रीका, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे गर्म देशों में कॉफी का उत्पादन होता है। भारत में सबसे ज्यादा दक्षिण प्रांतों जैसे कर्नाटक में कॉफी के बागान हैं। लाल सागर के दक्षिण छोर पर स्थित यमन और इथोयोपिया को कॉफी का जनक माना जाता रहा है।
ऐसी मान्यताएं हैं कि इथियोपिया के पठार में एक गडे़रिए ने जंगली कॉफी के पौधे से बने एक पेय पदार्थ की सबसे पहले चुस्की ली थी। शुरूआती दिनों में यमन में ही इसकी खेती होती थी और वहां के निवासियों ने इसका नाम कहवा रख दिया था। आगे चल कर इसी कहवा से कॉफी शब्द अस्तित्व में आया।
मान्यताएं यह भी हैं कि यमन के सूफी संत भगवान का स्मरण करते वक्त ध्यान लगाने के लिए कहवा शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।
लगभग 15वीं शताब्दी के आस पास कॉफी यमन के बंगरगाह मोचा सेमिस्रभी पंहुचा। शुरूआती दिनों में इसका सेवन केवल सुफी संत ही करते थे। काहिरा नामक एक धार्मिक विश्वविद्यालय है। उसी के आस पास के घरों में इसकी खेती होती थी। कई वर्षों बाद इसका प्रचार प्रसार सीरिया के शहर अलेप्पो और ऑटोमन साम्राज्य की तत्कालीन राजधानी इस्तांबुल तक होने लगा।
जब कॉफी का दायरा बढ़ा तो लोग कॉफी हाउसों में बैठकर बात चीत करने लगे, मुशायरे करने लगे और शतरंज भी खेलते थे। कॉफी हाउसों में बैठने वालों की गिनती बौद्धिक लोगों में होने लगी। इसका दायरा बढ़ते देख मुस्लिम विद्वानों ने मक्का, काहिरा और इस्तांबुल में धार्मिक संगठनों ने इस पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया। कॉफी हाउस को मयखानों से भी बदतर माना जाने लगा।
उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान मुराद चतुर्थ (1623-40) के राज में तो कॉफी हाउस जाने वालों के लिए मौत की सज़ा का भी ऐलान कर दिया गया था। अंत में सारे प्रयास विफल रहे और मुस्लिम विद्वानों को कॉफी के सेवन की अनुमति देनी पड़ी।
धीरे धीरे कॉफी युरोप पहुंचा। यह वहां दो रास्तों से पहुंचा एक तो ऑटोमन साम्राज्य के माध्यम से और दूसरे समुद्र के रास्ते मोचा बंदरगाह से। ईस्ट इंडिया कंपनी और डच ईस्ट इंडिया कंपनी 17वी शताब्दी की शुरुआत में कॉफी की सबसे बड़ी खरीदार थीं।
अरब देशों से होते हुए कॉफी आज पुरे दुनिया की पसंद बना हुआ है। इसके इतने लंबे सफर में इसे कई विवाद भी देखने पड़े लेकिन अपने स्वाद और लोगों के पसंद के चलते कॉफी आज दुनिया का दुसरा सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला पेय पदार्थ हो गया है।