Parivartini Ekadashi 2020: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह वो एकादशी है जिस दिन विष्णु भगवान करवट बदलते हैं। ऐसे समय में पूरे विधि विधान से पूजा करके उनसे जो मांगा जाता है उसे वे पूरा करते हैं। इस दिन वामन जयंती भी मनाई जाती है।
इस एकादशी के बाद से मौसम के मिजाज में भी परिवर्तन होने लगता है, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहा जाता है। कहीं-कहीं इसे पद्मा एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी जी का पूजन भी किया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार हिंदु धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है।
एक मान्याता है कि जब राजा बलि ने 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयास किया तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। वहीं देवताओं ने अपना राज्य प्राप्त करने के लिए महालक्ष्मी की भी पूजा की। इसलिए इस दिन महालक्ष्मी जी का भी पूजन किया जाता है।
इस दिन सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन दान और पुण्य करने का भी अपना विशेष महत्व है। इस एकादशी पर तांबा, चांदी, चावल और दही का दान करना शुभ माना जाता है। द्वादशी के समय शुद्ध होकर व्रत पारण मुहूर्त के समय व्रत खोलें।
Parivartini Ekadashi 2020 time
एकादशी तिथि समाप्त- 29 अगस्त, सुबह 08:17 मिनट तक
पारण का समय- 30 अगस्त 08:21 बजे तक
परिवर्तिनी एकादशी का महत्व:-
इस बार की परिवर्तिनी एकादशी पर द्वादशी तिथि भी लग रही है। 29 अगस्त के दिन सुबह 08 बजकर 18 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन हो जाएगा, जिसके बाद द्वादशी तिथि आरंभ हो जाएगी। इस तरह से एकादशी और द्वादशी का संयोग एक साथ बन रहा है। इसलिए इस बार की एकादशी का बहुत महत्व है।
परिवर्तिनी एकादशी आयुष्मान योग भी बन रहा है। इस योग में किए गए किसी भी कार्य का शुभ फल प्राप्त होता है। आयुष्मान योग में किए गए कार्य विफल नहीं होते हैं। ऐसे समय में हरि विष्णु जी की पूजा आराधना करने से मनुष्य को सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है, और जीवन में सुख समृद्धि आती है।