Madam Bhikaji Kama Birthday:  देश प्रेम में ठुकरा दी अंग्रेजोंं की शर्त, कई सालों तक नहीं लौट सकीं भारत

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Madam Bhikaji Kama Birthday: देश प्रेम में ठुकरा दी अंग्रेजोंं की शर्त, कई सालों तक नहीं लौट सकीं भारत

Madam Bhikaji Cama Birthday:  “यह झंडा आज़ाद भारत का झंडा है। मैं सभी सज्जनों से अनुरोध करती हूं कि वो खड़े होकर इसे सलामी दें।”  ये कहना था उस हिंदुस्तानी महिला का जो पहली ऐसी भारतीय थीं जिसने विदेश में भारतीय झंडा फहराया था। यह घटना 22 अगस्त 1907, जर्मनी की है।

1910 में मिस्र में हुए एक नेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान दे रहे अपने भाषण में मैडम भीकाजी कामा (Madam Bhikaji Cama Birthday) ने कहा था कि ” मैं यहां केवल पुरुषों को ही देख रही हूं, जो कि केवल आधे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां की माताएं कहाँ हैं? यहां की बहने कहाँ हैं? आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि जो हाथ पालना झुलाते हैं वो एक व्यक्ति को बनाते भी हैं।”


1986 में प्लेग महामारी के दौरान भीकाजी भी इससे संक्रमित हो गईं थी। हालांकि वो ठीक हो गईं थी लेकिन डॉक्टर ने इन्हें ठंडे जगह रहने की सलाह दी। वो लंदन चली गईं। भीकाजी को इंडिया नहीं आने दिया जाता था क्योंकि अंग्रेजो ने एक शर्त रखी थी कि वहा जाकर तुम अंग्रेजो के खिलाफ कुछ नहीं बोलोगी। ये शर्त उन्हें मंजूर नहीं थी। यही कारण था कि वो लंबे वक्त तक इंडिया नहीं लौट सकीं।

भीकाजी का जन्म 24 सितंबर 1861 को मुम्बई के एक पारसी परिवार में  हुआ था। साल 1985 में उनकी शादी रुस्तमजी कामा से हुई, वो एक बैरिस्टर थे। दोनो के विचार एकदम अलग थे यही कारण है कि दोनों का रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चल सका। लंदन में रहते वक़्त उनकी तबियत बिगड़ने लगी थी। उन्हें अंग्रेजी सरकार ने भारत जाने की अनुमति दे दी लेकिन शर्त वही पुरानी थी।

इस बार भीकाजी को अंग्रेजों की शर्त माननी पड़ी क्योंकि उनकी तबियत नाजुक थी और वो भारत देखना चाहती थीं। भीकाजी मुम्बई आ गईं। 13 अगस्त 1936 को भीकाजी ने आखिरी सांस ली। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने मरने से पहले ‘वंदे मातरम’ कहा था। उनके पति उनके आखिरी संस्कार में शामिल नहीं हुए थे।


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