रूरल इंडिया देगा डूबती इकॉनमी को सहारा, गांवों में शहर के मुकाबले कार की मांग ज्यादा

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रूरल इंडिया देगा डूबती इकॉनमी को सहारा, गांवों में शहर के मुकाबले कार की मांग ज्यादा

कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के कारण हुए दो महीने के लॉकडाउन के चलते देश में अर्थव्यवस्था (Economy) की गाड़ी पटरी से उतर गई। हालाँकि, शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले आर्थिक हालत ज्यादा खराब हैं। वह इसलिए क्योंकि देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया ने कहा है कि कोरोना काल में उसकी ग्रामीण इलाकों की मांग शहरी क्षेत्रों की तुलना में बेहतर है। वहीं, शहरी क्षेत्रों में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में लगातार इजाफा होने से मांग मजबूत नहीं है।

अच्छी बारिश से ग्रामीण बाजारों में सेंटिमेंट मजबूत

मारुति सुजुकी के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर (मार्केटिंग ऐंड सेल्स) शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि जून में शुरुआती बारिश अच्छी रहने से भी ग्रामीण बाजारों की धारणा मजबूत है। इससे खरीफ फसल की बुवाई बेहतर रही है। उन्होंने कहा, ‘अभी ग्रामीण मांग शहरी की तुलना में कुछ बेहतर है। जून में ग्रामीण बाजार में मारुति की बिक्री में ग्रामीण बाजार की हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में एक प्रतिशत अधिक है।’


ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड से सेंटिमेंट कम प्रभावित

श्रीवास्तव ने इसकी वजह बताते हुए कहा, ‘पहली बात की कोविड-19 से ग्रामीण क्षेत्रों की सेंटिमेंट कम प्रभावित हुई है। वास्तव में कोरोना संक्रमण वाले ज्यादातर क्षेत्र शहरों में हैं। इसके अलावा रबी फसल अच्छी रही है। जून में शुरुआती मानसूनी बारिश अच्छी रही है, जिससे खरीफ फसल की बुवाई बेहतर है।’ उन्होंने कहा कि यदि पिछले साल से तुलना की जाए, तो ग्रामीण और शहरी दोनों बाजारों में बिक्री घटी है, लेकिन ग्रामीण बाजार में बिक्री शहरी क्षेत्र की तुलना में कुछ बेहतर है। ग्रामीण बाजार में भी बिक्री में गिरावट है, लेकिन यह शहरी क्षेत्र की तुलना में कम है।

लॉकडाउन के बाद जून में बिक्री में आई तेजी

बता दें कि जून में मारुति सुजुकी की घरेलू बिक्री 53.7 प्रतिशत घटकर 53,139 यूनिट रही। जबकि कंपनी ने पिछले साल जून में घरेलू बाजार में 1,14,861 वाहन बेचे थे। हालांकि, जून में कारों की बिक्री मई से बेहतर रही। मई में कंपनी ने घरेलू बाजार में 13,888 वाहन बेचे थे। यह पूछे जाने पर कि क्या आगे चलकर कंपनी बिक्री की रफ्तार को कायम रख पाएगी, श्रीवास्तव ने कहा, ‘इसका अनुमान लगाना काफी मुश्किल है। काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कोविड-19 की स्थिति कैसी रहती है।

ट्रैक्टर की बिक्री में तेजी

अर्थशास्त्रियों और कॉर्पोरेट दिग्गजों का मानना है कि पस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था को अब ग्रामीण इलाकों से ही नई ऊर्जा मिलेगी। मई में घरेलू बाजार में ट्रैक्टर की बिक्री 4 फीसदी बढ़ी जो इस बात का संकेत है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था अर्बन इकनॉमी से कहीं बेहतर स्थिति में है।


शानदार मानसून का दिखाई देगा असर

मौसम विभाग की मानें तो इस बार जून में सामान्य से 15 फीसदी अधिक बारिश हुई। 2013 के बाद इस साल जून में सबसे ज्यादा बारिश हुई है। हिमालयी राज्यों के कुछ इलाकों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को छोड़कर देश के अन्य इलाकों में किसानों के मनमाफिक बारिश हुई है। इस साल अर्थव्यवस्था में कृषि एकमात्र क्षेत्र जहां ग्रोथ दिख रहा है।


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