Mehmood Birthday: महमूद न होते तो अमिताभ कभी महानायक न कहलाते

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Mehmood Birthday: महमूद न होते तो अमिताभ कभी महानायक न कहलाते

” उन्हें हम भाईजान कहते थे। वे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के महानतम कॉमेडियन हैं। उनके भाई अनवर अली और मैं, मेरी पहली फ़िल्म सात हिंदुस्तानी के सेट पर मिले। वो भी एक रोल कर रहे थे। तब से हम करीबी दोस्त बन गए। मैं उनके साथ उनके अपार्टमेंट में भी रहा जो एक बड़े कॉम्पलेक्स में बना हुआ था, जो महमूद भाई का था।”

“उसमें उनका बड़ा परिवार रहता था। महमूद भाई मेरे करियर के शुरुआती ग्राफ में मदद करने वालों में से थे। उनका मुझ पर पहले दिन से भरोसा था। वो मुझे न जाने क्यों, ‘डेंजर डायबॉलिक’ कह कर बुलाते थे। वो पहले प्रोड्यूसर थे जिन्होंने मुझे लीड रोल दिया था ‘ बॉम्बे टू गोआ’ में। जब मेरी कई फिल्में फ्लॉप होने लगी थी तो मैंने घर जाने का मन बना लिया था लेकिन जैसे महमूद भाई को यह बात पता लगी उन्होंने मुझे जाने से रोक लिया। अगर उस दिन वो न होते तो मैं आज यहां न होता।”


बॉलीवुड के लीजेंड कॉमेडियन और डायरेक्टर महमूद (Mehmood) के बारे में ये कहना था महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) का। कहा जाता है कि अमिताभ और महमूद के रिश्ते बेहद घनिष्ठ थे।

लेकिन महमूद ने अपने आखिरी दिनों में बच्चन से नाराज होकर उनके बारे में कहा था कि,  “मेरा बेटा अमित आज 25 साल का हो गया है। फिल्म लाइन में। अल्ला उसे सेहत दे। ऊरूज पर रखे। जिसको मैंने काम दिया, मैं उसके पास काम मांगने जाऊं तो मुझे शर्म नहीं आएगी? इसलिए मैं नहीं गया। जिस आदमी को सक्सेस मिले उसके दो बाप हो जाते हैं।

“एक बाप वो जो पैदा करता है और एक बाप वो जो पैसा कमाना सिखाता है। तो पैदा करने वाला बाप तो बच्चन साहब है हीं और मैं वो बाप हूं जिसने कमाना सिखाया। अपने साथ में रख के। घर में रख के। पिक्चरें दिलाईं। पिक्चरों में काम दिया। बहुत इज्जत करता है अमित मेरी। बैठा होगा, पीछे से मेरी आवाज सुनेगा, खड़ा हो जाएगा।”


“लेकिन आखिर में मुझे इतना फील हुआ जब मेरा बाइपास हुआ, ओपन हार्ट सर्जरी। उसके फादर बच्चन साहब (हरिवंशराय) गिर गए थे तो मैं उन्हें देखने के लिए अमित के घर गया, एक कर्टसी है। और उसके एक हफ्ते बाद जब मेरा बाइपास हुआ तो अमित अपने वालिद को लेकर वहां आए ब्रीच कैंडी (अस्पताल), जहां मैं भर्ती था, लेकिन अमित ने वहां ये दिखा दिया कि असली बाप असली होता है और नकली बाप नकली होता है।”

“उसने आके मुझे हॉस्पिटल में विश भी नहीं किया। मिलने भी नहीं आया। एक गेट वेल सून का कार्ड भी नहीं भेजा। एक छोटा सा फूल भी नहीं भेजा। ये जानते हुए कि भाईजान भी इसी हॉस्पिटल में हैं। खैर, मैं बाप ही हूं उसका और कोई बद्दुआ नहीं दी। आई होप, दूसरों के साथ ऐसा न करे।”

महमूद का जन्म 29 सितंबर 1932 को मुंबई में हुआ था। महमूद को बचपन से ही कॉमेडी करने का शौक था। फिल्मों में आने से पहले महमूद ड्राइवर के तौर पर नौकरी करते थे। जानी मानी अभिनेत्रि मीना कुमारी को महमूद टेबल टेनिस सिखाया करते थे।

महमूद ने पड़ोसन, गुमनाम, प्यार किए जा, भूत बंगला, बॉम्बे टू गोवा, सबसे बड़ा रूपैया, पत्थर के सनम, अनोखी अदा, नीला आकाश, नील कमल, कुँवारा बाप जैसी शानदार फिल्मों में काम किया था। महमूद किशोर कुमार और गुरु दत्त के अभिनय के कायल थे। उस वक्त की एक्ट्रेस अरुणा ईरानी के साथ महमूद के अफेयर्स के चर्चे भी खूब थे।

ऐसा कहा जाता है कि महमूद से ऐक्टर्स बेहद डरते थे। एक बेहद रोचक किस्सा है कि फिल्म ‘जनता हलवदार’ (1979) के सेट पर लेट आने की वजह से महमूद ने फिल्म के एक्टर राजेश खन्ना को थप्पड़ मार दिया था। महमूद उस फिल्म को डायरेक्ट कर रहे थे।

उन्होंने सबके सामने राजेश खन्ना को थप्पड़ लगा कर कहा “आप सुपरस्टार होंगे अपने घर के, मैंने फिल्म के लिए आपको पूरा पैसा दिया है और आपको फिल्म पूरी करनी ही पड़ेगी।” इसके बाद फिल्म का काम सही से चला।

23 जुलाई 2004 को महमूद ने अमरीका के पेनसिल्वेनिया शहर में अपनी आखिरी सांस ली। उन्हें ह्रदय रोग था।

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