Nirmala Deshpande Birthday: जिन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक सितारा-ए-इम्तियाज़ से नवाज़ा गया

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Nirmala Deshpande Birthday: जिन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक सितारा-ए-इम्तियाज़ से नवाज़ा गया

नागपुर में 19 अक्टूबर, 1929 को  जन्मीं निर्मला देशपांडे गांधीवादी विचारधारा से जुड़ी हुईं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता थीं। इनके पिता साहित्यकार थे। इनके पिता पुरुषोत्तम यशवंत देशपांडे को मराठी साहित्य (अनामिकाची चिंतनिका) में उत्कृष्ट काम के लिए 1962 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया था।

निर्मला देशपांडे ने अपना जीवन साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के साथ-साथ महिलाओं, आदिवासियों और अवसर से वंचित लोगों की सेवा में अर्पण कर दिया। निर्मला देशपांडे ने अनेक उपन्यास, नाटक, यात्रा तथा वृत्तान्त, विनोबा भावे की जीवनी भी लिखी थी।


आगे चल कर निर्मला देशपांडे पद्म विभूषण भी मिला था। इन्हें 13 अगस्त 2009 को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पूर्व पाकिस्तान सरकार द्वारा देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सितारा-ए-इम्तियाज़ से सम्मानित किया गया था।

वर्ष 2007 में राष्ट्रपति पद के लिए चर्चा की जा रही थी तो दो नामों पर काफी चर्चा हई थी। इनमें से एक नाम यू.पी.ए. और वाम मोर्चा द्वारा अन्तिम रूप से विचारित होने थे। दोनों नाम महिला उम्मीदवारों के ही थे। एक, गांधीवादी विचारधारा वाली निर्मला देशपांडे और दूसरी, राजस्थान की तत्कालीन राज्यपाल श्रीमती प्रतिभा पाटिल। 14 जून, 2007 को नाटकीय घटनाक्रम के बाद अन्तत: यू.पी.ए. और वामदलों ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के राजस्थान की तत्कालीन राज्यपाल श्रीमती प्रतिभा पाटिल का नाम तय किया था।

निर्मला देशपांडे जीवनपर्यन्त सर्वोदय आश्रम टडियांवा से जुड़ी रहीं। प्रतिभा पाटिल के समान निर्मला देशपांडे नेहरू-गाँधी परिवार के काफ़ी नजदीक रहीं और उनकी प्रबल समर्थक थीं। निर्मला देशपांडे ने महिला कल्याणार्थ दिल्ली एवं मुम्बई में कार्यकारी महिलाओं के लिए आवासगृह स्थापित किया था।


विनोबा भावे के भूमिदान आंदोलन 1952 में भी निर्मला देशपांडे शामिल हुईं थीं। इन्होंने आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के संदेश को लेकर भारत भर में 40,000 किमी की पदयात्रा की। उन्होंने स्वीकार किया थी कि गांधीवादी सिद्धांतों का अभ्यास कठिन है, लेकिन उन्हें यह विश्वास था कि पूर्ण लोकतांत्रिक समाज की प्राप्ति के लिए यही एक ही रास्ता है।

नई दिल्ली स्थित आवास में 1 मई 2008 को अति उनका निधन हो गया। निर्मला देशपाण्डे  को “दीदी” के नाम से जाना जाता था निर्मला जी आखिरी समय तक महात्मा गांधी के सिद्धान्तों के आधार पर लोगों को अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करती रहीं थीं।

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