झारखंड: क्या मधु कोड़ा का करिश्मा दोहराएंगे सरयू राय, मुंडा की तरह छिनेगा रघुबर का राजपाट!

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झारखंड: क्या मधु कोड़ा का करिश्मा दोहराएंगे सरयू राय, मुंडा की तरह छिनेगा रघुबर का राजपाट!

एक कहावत है- इतिहास अपने आप को दोहराता है। इसकी एक मिसाल आगामी दिनों में झारखंड की राजनीति में फिर से देखने को मिल सकती है। मगर इसके लिए कुछ ‘लेकिन, किंतु-परंतु’ का सच होना आवश्यक है। वो ऐसे कि जमशेदपुर पूर्वी सीट से मुख्यमंत्री रघुबर दास खुद चुनावी चक्रव्यूह में फंसते नज़र आ रहे हैं। बीजेपी के बागी नेता सरयू राय से उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है। फ़र्ज़ कीजिए कि रघुबर दास चुनाव हार जाते हैं तो सरयू राय वही कारनामा कर दिखाएंगे जो कुछ साल पहले मधु कोड़ा ने किया था।

जब मधु कोड़ा ने अर्जुन मुंडा का राजपाट छीन लिया था

दरअसल, बाबू लाल मरांडी के बाद अर्जुन मुंडा की सरकार में मधु कोड़ा मंत्री हुआ करते थे। झारखंड के 2005 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मधु कोड़ा का टिकट काट दिया। कहा जाता है कि मधु कोड़ा का टिकट कटवाने में अर्जुन मुंडा का ही हाथ था। इसके बाद कोड़ा बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतर गए। वह चुनाव जीतकर एक बार फिर से विधायक चुने गए।


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साल 2005 के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। इसके बाद अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बनने वाली बीजेपी सरकार को मधु कोड़ा ने समर्थन दिया और खनन मंत्री बने। हालांकि जल्द ही उनका अर्जुन मुंडा के साथ मोहभंग हो गया और दोनों के बीच तल्ख़ी बढ़ती गई। कांग्रेस और जेएमएम ने मौके पर चौका लगाते हुए मधु कोड़ा को अपने खेमे में मिलाया। इसके बाद मधु कोड़ा ने तीन अन्य निर्दलीय विधायकों को अपने भरोसे में लिया और बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके चलते अर्जुन मंडा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार गिर गई और कुछ महीने बाद मधु कोड़ा प्रदेश के सीएम बन गए।

सरयू जीते तो रघुबर को वनवास?

झारखंड में एक बार फिर कमोबेश वही कहानी दोहरा रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि तब मधु कोड़ा अपनी सीट जगन्नाथपुर से ही लड़े थे। वहीं, सरयू राय जमशेदपुर ईस्ट से झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को सीधी चुनौती दे रहे हैं। काहे से कि रघुबर दास ने अपने ही मंत्री सरयू राय का टिकट कटवा दिया। इसके पीछे वजह सरयू राय का बेबाक अंदाज और कड़े बयान हैं।

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सरयू राय भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लगातार रघुबर सरकार को घेरते रहे हैं, जो पार्टी नेतृत्व को नागवार गुजरी और उनका टिकट काट दिया गया। सरयू राय ने इसे प्रतिष्ठा की लड़ाई मानकर रघुबर दास के खिलाफ ही ताल ठोक दी है। बीजेपी के सभी नेता और कार्यकर्ता सरयू राय का काफी सम्मान करते हैं। सूत्रों की मानें तो अधिकांश बीजेपी कार्यकर्ता सरयू राय के जीत की कामना भी कर रहे हैं। अगर ये उलटफेर मुमकिन हुआ तो रघुबर दास का वनवास तय है।


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सरयू राय चुनाव जीत गए तो आगे क्या कदम उठाएंगे वह चुनाव नतीजों के बाद की परिस्थिति पर निर्भर करेगा। लेकिन राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है। वक्त ने सही करवट ली तो 2014 में मुख्यमंत्री पद की की रेस में रघुबर से पिछड़ने वाले सरयू राय इस बार मधु कोड़ा की तरह मौके को भुनाते हुए सीएम भी बन सकते हैं। बस कुछ दिनों का इंतजार है।


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