ट्रैवल इंश्योरेंस न होने से चुकानी पड़ सकती है बड़ी कीमत

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ट्रैवल इंश्योरेंस न होने से चुकानी पड़ सकती है बड़ी कीमत

बेंगलुरू। ट्रैवल इंश्योरेंस कितना जरूरी है कि यह मध्य प्रदेश की रहने वाली 30 वर्षीय प्रज्ञा पालीवाल के परिवार से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। थाईलैंड गई प्रज्ञा पालीवाल की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में छतरपुर जिले की रहने वाली प्रज्ञा, बेंगलुरू की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी। वह 8 अक्टूबर को हांगकांग के एक संस्थान के वार्षिक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए थाईलैंड गई थी। वहां जाने के बाद फुकेट में एक सड़क दुर्घटना में हुई उसकी मौत की जानकारी बेंगलुरू में प्रज्ञा की रूममेट ने 9 अक्टूबर को उसके परिवार को दी। यह वाकया यह बताने के लिए काफी है कि विदेश यात्रा के लिए ट्रैवल इंश्योरेंस नहीं खरीदने पर आपका सफर एक बुरे सपने में तब्दील हो सकता है।

प्रज्ञा ने थाईलैंड जाने से पहले ट्रैवल इंश्योरेंस नहीं खरीदा था, इसलिए उसके परिवार को उसका पार्थिव शरीर स्वदेश वापस लाने में काफी मुश्किलें हो रही थी। यह मामला हाल ही में खबरों में था क्योंकि प्रज्ञा का परिवार स्थानीय राज्य सरकार से प्रज्ञा का पार्थिव शरीर भारत लाने में मदद की अपील कर रहा था। हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लग रहा था क्योंकि परिवार के किसी भी सदस्य के पास पासपोर्ट नहीं था।


मध्य प्रदेश सरकार ने 2.02 लाख रुपये की राशि का बंदोबस्त करके एक एजेंसी को प्रज्ञा का शव वापस लाने का काम सौंपा। काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार प्रज्ञा का शव भारत वापस लाया जा सका। खबरों में आने वाला यह कोई पहला मामला नहीं था जब किसी परिवार ने सरकार से अपने किसी सदस्य का पार्थिव शरीर विदेश से वापस लाने में मदद मांगी हो।

पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के सहसंस्थापक एवं सीबीओ तरुण माथुर कहा कि विदेश यात्रा की योजना बनाते वक्त मौत का कारण बनने वाली परिस्थितियों के लिए तैयारी करना सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है। इमरजेंसी इवैक्यूएशन कवरेज वाली एक व्यापक ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी में पॉलिसीधारक की विदेशी धरती पर मौत होने की स्थिति में उसके पार्थिव शरीर को घर वापस लाने की जिम्मेदारी भी शामिल होती है।

उन्होंने कहा कि ट्रैवल इंश्योरेंस में यह कवरेज उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जो अपनी यात्रा का व्यापक इंश्योरेंस कराना चाहते हैं। हालांकि इस पॉलिसी के रीक्लेमेशन प्रोसेस को आसान बनाने के लिए विभिन्न व्यवस्थाएं मौजूद हैं लेकिन फिर भी अलग-अलग धर्म, विभिन्न देशों की कानूनी एवं राजनीतिक नीतियों के चलते विदेशी धरती से पार्थिव शरीर वापस लाना काफी मुसीबत भरा काम हो सकता है।


उन्होंने कहा कि पार्थिव शरीर विदेश से वापस लाने के कवरेज में इसके लिए होने वाले कुछ आवश्यक खर्चो को भी कवर किया जाता है। इन खर्चो में शवलेप करना (एंब्लेमिंग), दाह-संस्कार, ताबूत एवं परिवहन सहित अन्य शामिल हो सकते हैं। इंश्योरेंस कंपनी असिस्टेंस सर्विस प्रोवाइडर शोकाकुल परिवार एवं मृतक के निकटतम संबंधी को सड़क या हवाई मार्ग से मृतक के अंतिम अवशेषों को वापस स्वदेश लाने में भी सहायता प्रदान करते हैं।

उल्लेखनीय है कि पर्यटन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच वर्षो के दौरान विदेश जाने वाले यात्रियों की संख्या में काफी अधिक वृद्धि हुई है। यह भी अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2025 तक भारतीय यात्री विदेश यात्रा के लिए करीबन 40.7 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करेंगे। हालांकि, हर साल विदेश यात्रा के दौरान मरने वाले भारतीयों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। यह संख्या 2013 से लगातार काफी बढ़ रही है और हर साल 8000 से अधिक भारतीयों की विदेश में मौत हो रही है। इन मौतों का सबसे बड़ा कारण दिल से जुड़ी बीमारियां और सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।


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(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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