Bhadrapada Purnima 2020: हिंदु धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्व माना गया है। इस तिथि को पुण्य फलदायक माना जाता है, यह तिथि भगवान सत्यनारायण को समर्पित की जाती है। पूर्णिमा तिथि की रात चंद्रमा अपने पूरे स्वरुप में होता है। हर महीने पूर्णिमा तिथि पड़ती है, इस तरह से पूरे वर्ष में 12 पूर्णिमा आती हैं।
पूर्णिमा श्राद्ध 01 सितंबर और 2 सितंबर को है। इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन लग रही है। पूर्णिमा तिथि 1 सितंबर की सुबह 09 बजकर 38 मिनट से शुरू होगी, जो 2 सितंबर 2020 को सुबह 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगी। इसी दिन से श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहा है, जो 17 सितंबर को समाप्त होगा। श्राद्ध पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा को पूर्णिमा श्राद्ध के नाम से जाना जाता है। पूर्णिमा के बाद एकादशी, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या श्राद्ध आता है। इन तिथियों में पूर्णिमा श्राद्ध, पंचमी, एकादशी और सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध प्रमुख माना जाता है।
पूर्णिमा तिथि और समय
पितृपक्ष का आगमन राहु के नक्षत्र शतभिषा में हो रहा है और राहु के नक्षत्र में इस पक्ष का आरम्भ होना ज्योतिष की नजर में बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। पूर्णिमा की तिथि 1 सितंबर 2020 की सुबह 09 बजकर 38 मिनट से शुरू होगी, जो 2 सितंबर 2020 को सुबह 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगी।
भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व
इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से व्यक्ति को धन-धान्य की कमी नहीं होती है। जो लोग पूर्णिमा के दिन व्रत करते हैं, उनके घर में सभी प्रकार से सुख-समृद्धि का वास होता है। इस पूजा से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं।
इस दिन उमा-महेश्वर व्रत भी रखा जाता है। एक ओर मान्यता ये भी प्रचिलत है कि भगवान सत्यनारायण नें भी इस व्रत को किया था। इस दिन दान-स्नान का भी बहुत महत्व माना गया है। भादप्रद पूर्णिमा के दिन को इसलिए भी खास माना गया है, क्योंकि इस दिन से श्राद्ध पक्ष का आरंभ होता है, और सोलह दिनों तक अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करने के दिन होते हैं।