‘ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से मशहूर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाले दादाभाई नौरोजी (Dadabhai Naoroji) का जन्म बम्बई के एक गरीब पारसी परिवार में 4 सितंबर को हुआ था। उनके पिता का नाम नौरोजी पलांजी डोरडी तथा माता का नाम मनेखबाई था। दादाभाई (Dadabhai Naoroji) केवल 4 वर्ष के थे, जब उनके पिता का देहांत हो गया। दादाभाई का पालन-पोषण उनकी माता ने किया। अनपढ़ होने के बावजूद भी उनकी माता ने उनकी पढ़ाई का विशेष ध्यान दिया। बम्बई के एल्फिंस्टोन इंस्टिट्यूट से पढ़ाई पूरी करने के बाद मात्र 27 वर्ष की उम्र में वे गणित, भौतिक शास्त्र के प्राध्यापक बन गए।
कांग्रेस की नींव रखने वाले और ब्रितानी हुकूमत को चुनौती देने वाले दादाभाई नौरोजी (Dadabhai Naoroji) का निधन 30 जून 1917 में हुआ था। 1894 को लिखी महात्मा गांधी ने अपनी चिट्ठी में उनको याद करते हुए लिखा था – ‘हिंदुस्तानी आपकी तरफ ऐसे देखते हैं, जैसे बच्चे अपने पिता की ओर। यहां आपको लेकर कुछ इस तरह का अहसास है।’
उनकी जयंती पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी बातें…
-‘ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से नवाजे गए पारसी विचारक, शिक्षाविद् और सामाजिक नेता थे।
-उन्होंने सन् 1851 में गुजराती भाषा में रस्त गफ्तार साप्ताहिक शुरू किया था। सन् 1885 में बम्बई विधान परिषद के सदस्य बने।
-1892 से 1895 के बीच यूके हाउस ऑफ कॉमंस में लिबरल पार्टी के सांसद और ब्रिटिश सांसद बनने वाले एशियाई बने।
-वो बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले और मोहनदास करमचंद गांधी के मेंटर थे।
-महज 3 वोट से जीतने के बाद संसद पहुंचे नौरोजी ने अपने भाषण में भारत में ब्रिटिश हुकूमत की भूमिका पर सवालिया निशान लगाया।
-ए ओ ह्यूम और दिनशॉ एदुलजी वाचा के साथ उन्हें इंडियन नेशनल कांग्रेस की नींव तैयार करने का श्रेय दिया जाता है।
-1906 में एक अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने सबसे पहले देश को ‘स्वराज्य’ का नारा दिया। कलकत्ता अधिवेशन में बोले, हम कोई कृपा की भीख नहीं माँग रहे हैं, हमें तो न्याय चाहिए।
-उनकी किताब पॉवर्टी ऐंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया ‘राष्ट्रीय आंदोलन की बाइबिल’ कही जाती है।
-मुंबई, पाकिस्तान के कराची और लंदन के फिंसबरी इलाके में उनके नाम पर सड़क है।