Hariyali Teej 2020: इस बार हरियाली तीज 23 जुलाई यानी गुरुवार को मनाई जाएगी। तीज तृतीया तिथि 22 जुलाई को शाम 07 बजकर 23 मिनट से आरम्भ होकर 23 जुलाई को शाम 05 बजकर 02 मिनट तक रहेगी। सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज या श्रावणी तीज का पर्व मनाया जाता है।
तीज के दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरी चूड़ीयां, सोलह श्रृंगार , मेहंदी, झूला-झूलने की परंपरा भी है। इस दिन लड़कियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां आती हैं। नवविवाहिताओं के लिए ये दिन बहुत खास होता है। हरियाली तीज के मौके पर हर तरफ हरियाली की छटा छा जाती है। महिलाए पेड़ों पर इस दिन झूला झूलते हुए मधुर गीत गाती हैं।
हरियाली तीज की पूजा सामग्री:
इस दिन विधिवत पूजा करने के लिए गीली काली मिट्टी या बालू रेत, बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, हरी चूड़ियां, हरे वस्त्र, धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल, तुलसी, आम की मंजरी, जनैव, नाड़ा का प्रयोग करना चाहिए। फल एवं फूल पत्ते, श्रीफल, मिट्टी का कलश, लाल अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
सुहागिन महिलाओं के लिए ख़ास है हरियाली तीज:
हरियाली तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं लिए बहुत ही खास होता है। इस दिन ज्यादातर स्त्रियां व्रत रखती हैं। मां पार्वती और शिव जी (Lord Shiva) की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं। इस दिन महिलाएं बागों में झूला झूलती हैं और अपने हाथों पर मेहंदी भी रचाती हैं।
हरियाली तीज में सिंजारे का महत्व:
इस पर्व पर मेंहदी, झूला और सुहाग-चिह्न सिंजारे का विशेष महत्व है. नवविवाहिताओं को उनके ससुराल से मायके बुलाने की परंपरा है। वे अपने साथ सिंघारा लाती है। मायके से कपड़े, गहने, सुहाग का सामान तीज का भेंट के रूप में भेजा जाता है। जगह-जगह झूले लगाए जाते हैं और गीत गाती हुई महिलाएं सामूहिक रुप से झूला झूलती हैं।