Kamika Ekadashi 2020: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आज श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है, जिसे कामिका एकादशी भी कहा जाता है। यह तिथि भगवान श्री हरि यानि विष्णु जी को समर्पित होती है। कामिका एकादशी के दिन शंख, चक्र गदा धारण करने वाले भगवान विष्णु की श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव और मधुसूदन आदि नामों की सच्चे भाव से पूजा करनी चाहिए।
इस बार यह शुभ तिथि 16 जुलाई दिन गुरुवार के दिन आई है। पुरातन ग्रंथों में इस बात का वर्णन मिलता है कि भगवान कृष्ण ने कामिका एकादशी के बारे में धर्मराज युद्धिष्ठिर को बताया था कि इस एकादशी का व्रत रखने से वाजपेय यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है।
कामिका एकदाशी का महत्व-
शास्त्रों में कामिका एकदाशी के बारे में कहा गया है कि जो भी सच्चे मन से सावन मास में इस शुभ तिथि पर भगवान नारायण का पूजन व उपवास करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। इस व्रत को करने से जीवात्माओं को उनके पाप से मुक्ति मिल जाती है और मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं। इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति का वास होता है।
शुभ मुहूर्त-
कामिका एकादशी व्रत तिथि – 16 जुलाई
पारण समय – सुबह 5 बजकर 57 मिनट से 8 बजकर 19 मिनट तक (17 जुलाई)
एकादशी तिथि प्रारंभ – 15 जुलाई को रात 10 बजकर 19 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त – 16 जुलाई को रात 11 बजकर 44 मिनट पर
कामिका एकादशी व्रत एवं पूजा विधि
इस दिन प्रात:काल में स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके कामिका एकादशी व्रत एवं पूजा का संकल्प लें। भगवान विष्णु की अक्षत्, चंदन, पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजन करें। फल एवं मिठाई अर्पित करें। विष्णुजी को मक्खन-मिश्री का भोग लगाएं, तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं।
इसके साथ ही माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। इसके पश्चात कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनें। पूजा के अंत में भगवान श्री विष्णु जी की आरती कर लें। इसके बाद शाम को संध्या आरती करें। अगले दिन पारण से पूर्व भगवान को अर्पित वस्तुएं ब्राह्मण को दान कर दें। इसके बाद पारण करके व्रत को पूर्ण करें।
भगवान विष्णु के आराध्य देव भगवान शिव ही माने जाते हैं और शिव के आराध्य देव भगवान विष्णु हैं। सावन मास में एकादशी का आना एक खास संयोग बना रहा है। इसके साथ ही एकदाशी के दिन अमृत काल भी लग रहा है। शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी भक्त सच्चे मन से सावन मास में भगवान नारायण की पूजा करता है, उसको बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।