जयंती विशेष: ‘भारतीय सांख्यिकी के जनक’ थे पीसी महालनोबिस, जानिए सांख्यिकी में उनके योगदान के बारे में

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प्रोफेसर पीसी महालनोबिस एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और सांख्यिकीविद थे। उन्हें सांख्यिकीय माप ‘महालानोबिस दूरी’ (Mahalanobis Distance) के लिए जाना जाता है। इसके अलावा उन्होंने देश की दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61) में औद्योगिकीकरण के लिए रणनीति तैयार की थी। आज उनकी जयंती है।

पीसी महालनोबिस का जन्म 29 जून, 1893 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज और लंदन के किंग्स कॉलेज से फिजिक्स और मैथ्स की पढ़ाई की। उन्होंने कैवेंडिश लेबोरटरी में सीटीआर विल्सन के साथ काम किया और इसके बाद प्रेज़िडेंसी कॉलेज में फिजिक्स पढ़ाने लगे। कुछ समय के लिए वह इंग्लैंड वापस गए थे। वहां उन्होंने ‘बायोमेट्रिका’ पढ़ाना शुरू किया। इस दौरान उन्हें इसमें काफी आनंद आने लगा। ‘बायोमेट्रिका’ पढ़ने के बाद, उन्हें मानव-शास्त्र और मौसमविज्ञान जैसे विषयों में सांख्यिकी के महत्व का ज्ञान हुआ और उन्होंने भारत लौटते ही इस पर काम करना प्रारंभ कर दिया।


भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना

प्रेज़िडेंसी कॉलेज में पढ़ाने के दौरान उन्होंने सांख्यिकी में रुचि रखने वाले लोगों का एक ग्रुप बनाया। आगे चल कर यही ग्रुप भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute) बना। 17 दिसम्बर 1931 को भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना हुई। 1932 में इस संस्थान को औपचारिक तौर पर रजिस्टर करवाया गया और 1959 में, इसे ‘राष्ट्रिय महत्व का संस्थान’ घोषित किया गया और ‘डीम्ड विश्वविद्यालय’ का दर्जा दिया गया।

सांख्यिकी में योगदान

सांख्यिकी के क्षेत्र में पीसी महालनोबिस का योगदान अतुल्य है। इस दिशा में उन्होंने सबसे पहले कॉलेज के परीक्षा परिणामों का विश्लेषण किया था। इसके बाद उन्होंने कोलकाता के ऐंग्लो-इंडियंस के बारे में एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया। इस विश्लेषण के परिणाम को भारत में सांख्यिकी का पहला शोध-पत्र (First Research Paper of Indian Statistics) कहा जा सकता है।

सबसे ज्यादा उन्हें ‘महालनोबिस दूरी’ के लिए याद किया जाता है, यह उनके द्वारा सुझाया गया एक सांख्यिकीय माप है। इसकी खोज उन्होंने कलकत्ता में एंग्लो-इंडियन के मानवविज्ञान माप के अध्ययन के दौरान की थी। इसके अलावा महालनोबिस ने ‘सैंपल सर्वे’ (Sample Survey) को पेश किया, जिसके आधार पर आज के युग में बड़ी-बड़ी नीतियां और योजनाएं बनाई जाती हैं। भारत में सांख्यिकीय गतिविधियों के समन्वय के लिए उन्होंने ‘केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन’ (Central Statistics Organisation) की स्थापना की।


पीसी महालनोबिस के महान योगदान चलते उन्हें ‘भारतीय सांख्यिकी का जनक’ (Father of Indian Statistics) भी कहा जाता है। अपने योगदान के लिए उन्हें पद्म विभूषण (1968), ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से वेल्डन मेमोरियल पुरस्कार (1944), फैलो ऑफ द रॉयल सोसाइटी, लंदन (1945) जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

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