Pitru Paksha 2020: आज से पितृ पक्ष शुरू, इस विधि से करें पूर्णिमा श्राद्ध

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Pitru Paksh starts from today do poornima shradh with this method

Pitru Paksha 2020: आज से ही पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है। श्राद्ध पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है. इस पक्ष क दौरान पितरों के निमित्त दान, तर्पण, श्राद्ध के रूप में श्रद्धापूर्वक जरूर करना चाहिए। पितृपक्ष में किया गया श्राद्ध-कर्म सांसारिक जीवन को सुखमय बनाते हुए वंश की वृद्धि भी करता है।

हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा को पूर्णिमा श्राद्ध होता है। इस पूर्णिमा के बाद एकादशी, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या श्राद्ध आता है। इन तिथियों में पूर्णिमा श्राद्ध, पंचमी, एकादशी और सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध प्रमुख माना जाता है।


श्राद्ध का समय

इस बार पितृपक्ष का आगमन राहु के नक्षत्र शतभिषा में हो रहा है और राहु के नक्षत्र में इस पक्ष का आरम्भ होना ज्योतिष शास्त्र की नजर में बेहद ही अलग मायने रखता है। पूर्णिमा तिथि 1 सितंबर 2020 को सुबह 09:38 बजे से शुरू होगी जो 2 सितंबर 2020 को सुबह 10:53 बजे तक रहेगी।

पूर्णिमा श्राद्ध विधि


शास्त्रों के अनुसार हमारे पूर्वज पूर्णिमा के दिन चले गए हैं उनके पूर्णिमा श्राद्ध ऋषियों को समर्पित होता है, क्योंकि हमारे पूर्वज जिनकी वजह से हमारा गोत्र है। उनके निमित तर्पण करवाएं और उनकी तस्वीर को सामने रखें. उन्हें चन्दन की माला अर्पित करें और सफेद चन्दन का तिलक करें। इस दिन पितरों को खीर अर्पित करें।

खीर में इलायची, केसर, शक्कर, शहद मिलाकर बनाएं और गाय के गोबर के उपले में अग्नि प्रज्वलित कर अपने पितरों के निमित तीन पिंड बना कर आहुति दें। इसके पश्चात, कौआ, गाय और कुत्तों के लिए प्रसाद खिलाएं, फिर ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और स्वयं भी भोजन करें।

पूर्णिमा का महत्व

इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से व्यक्ति को धन-धान्य की कमी नहीं होती है। जो लोग पूर्णिमा के दिन व्रत करते हैं, उनके घर में सभी प्रकार से सुख-समृद्धि का वास होता है। इस पूजा से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं।

इस दिन उमा-महेश्वर व्रत भी रखा जाता है। एक ओर मान्यता ये भी प्रचिलत है कि भगवान सत्यनारायण नें भी इस व्रत को किया था। इस दिन दान-स्नान का भी बहुत महत्व माना गया है। भादप्रद पूर्णिमा के दिन को इसलिए भी खास माना गया है, क्योंकि इस दिन से श्राद्ध पक्ष का आरंभ होता है, और सोलह दिनों तक अपने पितरों से आशीर्वाद  प्राप्त करने के दिन होते हैं।

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