Yogini Ekadashi: हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2020) का विशेष महत्व है। योगिनी एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्रती को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
इसके साथ ही वह इस लोक के सुख भोगते हुए स्वर्ग की प्राप्ति करता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत करने से 28 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
योगिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 16 जून, 2020 को सुबह 5 बजकर 40 मिनट पर प्रारंभ होगा
एकादशी तिथि समाप्त: 17 जून, 2020 को 4 बजकर 50 मिनट पर समाप्त हो जाएगी
पारण का समय: 18 जून 2020 को 05.28 AM से 08.14 AM तक
पूजा की विधि
सुबह सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें और फिर स्नान करके स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति को फूल, अक्षत, नारियल और तुलसी पत्ता अर्पित करें। फिर पीपल के पेड़ की भी पूजा करें। व्रत की कथा सुनें और अगले दिन परायण कर दें।
व्रत कथा
स्वर्ग की में कुबेर नामक एक राजा रहता था। कुबेर को भगवान शिव का भक्त माना जाता है। वो हर दिन भोले की पूजा करता था। राजा की पूजा के लिए हेम नामक एक माली फूल लाता था।
हेम माली की पत्नी का नाम विशालाक्षी था, जो सुंदर स्त्री थी। एक दिन माली सरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामातुर होने की वजह से अपनी पत्नी से हास्य-विनोद करने में व्यस्त हो गया और राजमहल नहीं गया।
राजा माली का दोपहर तक इंतजार करता रहा. इसके बाद राजा कुबेर ने सैनिकों को आदेश दिया कि जाओ माली अब तक क्यों नहीं आया, इसका पता लगाओ। सैनिकों ने राजा को बताया कि माली अपनी पत्नी के साथ हास्य-विनोद में लगा है।
सैनिकों की ये बात सुनते ही राजा कुबेर क्रोधित हो गए और माली को तुरंत उपस्थित करने का आदेश दिया। अब हेम कांपते हुए राजा के सामने उपस्थित हुआ। क्रोधित राजा ने कहा, ‘हे मैं तुझे शाप देता हूं कि स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा’।
अब कुबेर के शाप से हेम माली कोढ़ग्रस्त हो गया। स्वर्गलोक में वास करते-करते उसे दुखों की अनुभूति नहीं थी, लेकिन यहां पृथ्वी पर भूख-प्यास के साथ-साथ कोढ़ से उसका सामना हो रहा था. उसके दुखों का कोई अंत नजर नहीं आ रहा था।
वह एक दिन घूमते-घूमते मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पंहुच गया। इस आश्रम की शोभा देखते ही बनती थी। माली मार्कंडेय ऋषि के चरणों में गिर पड़ा और महर्षि के पूछने पर अपनी व्यथा से उन्हें अवगत करवाया।
अब ऋषि मार्कण्डेय ने कहा, “तुमने मुझसे सत्य बोला है इसलिए मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूं। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष को योगिनी एकादशी होती है। इसका व्रत करोगे तो तुम्हारे सब पाप नष्ट हो जाएंगे।”
अब माली ने ऋषि के बताए अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस प्रकार उसे अपने शाप से छुटकारा मिला और वह फिर से अपने वास्तविक रूप में आकर अपनी स्त्री के साथ फिर सुख से रहने लगा।
श्री कृष्ण कथा सुनाकर युधिष्ठर से कहने लगे, “हे राजन! 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के पश्चात जितना पुण्य मिलता है उसके समान पुण्य की प्राप्ति योगिनी एकादशी का विधिपूर्वक उपवास रखने से होती है।