क्या होता है जब कोई सैनिक दुश्मन देश की सीमा में पकड़ा जाता है? जानें क्या है जेनेवा कन्वेंशन

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क्या होता है जब कोई सैनिक दुश्मन देश की सीमा में पकड़ा जाता है ? जानें युद्ध बंदियों के नियम

भारत पाकिस्तान में तनाव अपने चरम पर है। मंगलवार को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान सीमा में घुसकर कई आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया। हमले के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और जवाबी कार्रवाई की बातें कर रहा है।

आज (बुधवार) पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की जिसका भारत की तरफ से जोरदार जवाब दिया गया। एक पाकिस्तानी फाइटर प्लेन को मार गिराया गया। इस दौरान भारत का एक मिग विमान भी क्रैश हो गया। पाकिस्तान ने दावा किया है कि भारत का एक पायलट उनके कब्जे में है। भारत सरकार ने भी माना है कि हमारा एक पायलट लापता है।


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि, ‘पाकिस्तान का विमान भारतीय सीमा क्षेत्र में आए थे। भारत ने उनके एक लड़ाकू विमान को मार गिराया है। हालांकि, इस कार्रवाई में भारत का एक विमान भी हादसे का शिकार हो गया। हमारा एक पायलट लापता है। इसकी जांच की जा रही है।’

ऐसे में ये जानना जरूरी है कि युद्ध बंदियों के नियम क्या होते हैं। क्या होता है अगर कोई सैनिक किसी दूसरे देश की सीमा में पकड़ा जाता है। हम आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय जिनेवा संधि के तहत युद्धबंदियों को लेकर क्या नियम हैं।

जेनेवा समझौता

युद्धबंदियों (POW) के अधिकारों को बरकरार रखने के जेनेवा समझौता में कई नियम दिए गए हैं। जेनेवा समझौते में 4 संधियां और 3 अतिरिक्त प्रोटोकॉल (मसौदे) शामिल हैं, जिसका मकसद युद्ध के वक्त मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानून तैयार करना है। मानवता को बरकरार रखने के लिए पहली संधि 1864 में हुई थी। इसके बाद दूसरी और तीसरी संधि 1906 और 1929 में हुई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की थी। इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास के मुताबिक जेनेवा समझौते में युद्ध के दौरान गिरफ्तार सैनिकों और घायल लोगों के साथ कैसा बर्ताव करना है इसको लेकर दिशा निर्देश दिए गए हैं। इसमें साफ तौर पर ये बताया गया है कि युद्धबंदियों (POW) के क्या अधिकार हैं। साथ ही समझौते में युद्ध क्षेत्र में घायलों की उचित देखरेख और आम लोगों की सुरक्षा की बात कही गई है। जेनेवा समझौते में दिए गए अनुच्छेद 3 के मुताबिक युद्ध के दौरान घायल होने वाले युद्धबंदी का अच्छे तरीके से उपचार होना चाहिए।


जिनेवा संधि के तहत युद्धबंदियों को डराया-धमकाया नहीं जा सकता। उन्हें अपमानित नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं कोई भी देश युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा नहीं कर सकता। इस संधि के मुताबिक युद्धबंदियों पर या तो मुकदमा चलाया जा सकता है या फिर युद्ध के बाद उन्हें लैटाना होता है। हालांकि पकड़ गए युद्धबंदियों को अपना नाम, सैन्य पद और नंबर बताने होते हैं।

जेनेवा कन्वेंशन की मुख्य बातें:

  • सन 1949 से लागू हुई संधि का मकसद ऐसे सैनिकों की रक्षा करना है जिसे दुश्‍मन देश की सेना ने पकड़ लिया हो।
  • इस संधि के मुताबिक पकड़े गए सैनिक के साथ मानवीय बर्ताव किया जाएगा।
  • जैसे ही किसी देश के सैनिक, चाहे वह स्‍त्री हो या पुरुष, उसे पकड़ा जाता है, संधि उसी समय लागू हो जाती है।
  • इस संधि के तहत किसी भी युद्धबंदी को प्रताड़ित करना गैर-कानूनी है।
  • सैनिक के पकड़ते समय उसकी जाति, उसका रंग, धर्म, जन्‍म या पैसा और इस तरह की बातों के बारे में नहीं पूछा जाएगा।
  • संधि में साफ कहा गया है कि अगर जरूरत पड़ी तो कैदी सिर्फ अपना नाम, जन्‍मतिथि, रैंक और सर्विस नंबर को ही बताएगा।

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